मन के सपने
मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** पूरे होना मुश्किल मन के सपने,वायु वेग से बढ़ते मन के सपने। मन होता है मानो एक समुंदर,लाख वासना जिसके अंदर। एक पूर्ण हो…
मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)********************************************** पूरे होना मुश्किल मन के सपने,वायु वेग से बढ़ते मन के सपने। मन होता है मानो एक समुंदर,लाख वासना जिसके अंदर। एक पूर्ण हो…
कमलेश व्यास 'कमल' उज्जैन (मध्यप्रदेश)************************************************* जैसे किसी गन्ने को चरखी में से ४ बार गुजारने के बाद उसकी हालत होती है,या किसी भी पतरे की अलमारी को गोदरेज की अलमारी…
राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** अंतर के दर्पण में नव मीत बनाना बाकी है,नव सृजन कर छंदों का नवगीत सजाना बाकी है। दुनिया के मिथ्या झगड़ों से खुद को बचाना बाकी…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************* नए साल में नई उमंगें,जैसे नया जमाना होगाबीत जाएगा साल पुरानागुज़रा हुआ फ़साना होगाl तड़प रहे थे इतने दिन से,डरते-डरते समय गुजाराकब जाएगा ये कोरोनाकब आएगा…
डॉ.एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’ मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************* नव वर्ष!तुमको आना था,तो आ गए,इसमें क्या है हर्ष! पिछले वर्ष आए थे,तब क्या किया ?जो अब करोगे,क्या पाया हमने,पाकर तुम्हारा स्पर्श!तुमको आना था,तो आ गए!क्या…
प्रियंका सौरभहिसार(हरियाणा) ************************************************** बीत गया ये साल तो,देकर सुख-दुःख मीत,क्या पता ? क्या है बुना ? नई भोर ने गीतl माफ़ करे सब गलतियां,होकर मन के मीत,मिटे सभी की वेदना,जुड़े…
मुंबई(महाराष्ट्र)l 'वैश्विक हिन्दी सम्मेलन' पिछले ८ वर्ष से हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार के लिए निरन्तर कार्यरत है। भाषा और साहित्य के बीच एक सेतु स्थापित करने…
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************************* खिलखिलाता बेतहाशा उछाल आसमाँ,अँजुरी में भरकर सारे समंदर कोछींटे बालों गिरती बूंदों झटक,लगाए कहकहे ब-होश खड़ाl मकड़ी जालों को लगा चाँद से सूरज तक,दौड़ते सर्द गर्म के एहसास…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* आगमन नव वर्ष का हम प्यार के दीपक जलाएं।घिर रहा जो हर दिशा में उस अँधेरे को मिटाएं॥ बादलों में रवि ढला है साँझ होने से…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************** (रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२) साल बीता पुराना,नया आ रहा।अलविदा और शुभ आगमन पा रहा॥साल बीता पुराना… अलविदा बीसवां साल अब पा रहा,साल इक्कीसवाँ…