रिमझिम सावन आया

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** रिमझिम सावन आते ही,पड़ने लगती खूब फुहार हैआनंदित होकर हम सब,खूब मस्ती करने लगते हैंवर्षा से खूब खिलवाड़ है। झुण्ड के संग झूला झूलने का,उत्तम सर्वोत्तम एक त्योहार हैमस्ती…

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सच हमेशा कटु, असहनीय भी

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** महाराष्ट्र-राज्यपाल.... मनुष्य के मन में जितने भी विचार आते हैं उनको कोई पढ़ना जान ले तो वह किसी का भी दोस्त नहीं बन सकता है। कारण कि मन,…

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बनें इन्सान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बनें इन्सान हम सब तो, सजेगी देन दाता की।भले इन्सान बनकर ही, मिलेगी देन दाता की॥ सुहानी सृष्टि रचना में,…

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आइना उन्हें जो दिखाने पे आ गए

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हम आइना उन्हें जो दिखाने पे आ गये,पलभर में उनके होश ठिकाने पे आ गये। एहसास जब हुआ उन्हें अपनी शिकस्त का,वो दोस्ती का हाथ बढ़ाने पे आ…

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दीजिए सद्ज्ञान का महादान

  श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तुलसीदास जयंती विशेष... आज बहुत पावन पुण्य धरा, कि है तुलसीदास जयंती,पुज्य तुलसीदास जी के चरणों में करती नमन 'देवन्ती'। महाकवि तुलसीदास जी, अपनी माता…

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राष्ट्रीय चेतना जगाने आए थे धरती पर

ललित गर्गदिल्ली************************************** राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त) जन्म जयन्ती इतिहास और साहित्य में ऐसी प्रतिभाएं कभी-कभी ही जन्म लेती हैं, जो बनी बनाई लकीरों को पोंछकर नई लकीरें बनाते हैं।…

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राष्ट्रीय संगोष्ठी ३-४ अगस्त को

इंदौर (मप्र)। सबसे पुरानी राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘वीणा’ और केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के संयुक्त तत्वावधान में ३-४ अगस्त को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन इंदौर स्थित श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य…

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वो जाने लगी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** फिर मिलेंगे वो कहकर जाने लगी,तिरछी नज़र देख मुस्कुराने लगीकहती हुई भी वो कुछ कह न सकी,मासूमियत दिल्लगी गुनगुनाने लगी। फिर सजेंगे गुलफ्सां वो…

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ख़ुशनुमा लम्हे संजोइए

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** किसी से बिछड़कर कभी इतना भी ना रोइए,आँसुओं से आँखों को इतना भी ना भिगोइए। ज़िन्दगी जीना भूल जाओ जाने वाले के पीछे,उसकी यादों के जंगल…

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माले-मुफ्त:पक्के मानदंड कायम करना ही होंगे संसद को

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************************* एक कहावत है कि 'माले-मुफ़्त और दिले-बेरहम!' इसे हमारे सभी राजनीतिक दल चरितार्थ कर रहे हैं याने चुनाव जीतने और सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए वे…

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