मुन्शी प्रेमचंद-सुंदर युग अवतार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** जीवन्त लेखन का थे एक उपहार,प्रेमचंद थे एक सुंदर युग अवतार। ग्रामीण प्रवृत्तियों से होती थी खूब मुठभेड़,सामाजिक न्याय के थे एक योद्धा पुरजोर। 'पंच परमेश्वर' कृति से खूब…

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सावन की रुत

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** रचनाशिल्प:१६/१४... सावन की रुत आई देखो,नव उमंग उर आई है।सबके उर आनंद हिलोरें,खुशियों से हरषाई है। देख मही पर फसलों की अब,सजती सुन्दर क्यारी है।झरने…

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तरक्की में बाधक के लिए दंड आवश्यक

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज से नहीं…वर्षों से जिस दल का सबसे अधिक समय शासन रहा, उनके नेता दुबई जाते रहे हैं, लेकिन दुबई से कुछ नहीं सीखा। यदि सीख लेते…

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प्रेमचंद का भाषा चिन्तन:सुझावों पर ध्यान नहीं

प्रो. अमरनाथकलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************** हिन्दी के योद्धा-जन्मदिन विशेष.... आज भी प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८०-८ अक्टूबर १९३६) सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले हिन्दी के लेखकों में हैं। बड़े विद्वानों के निजी…

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बेतुके बोलते अ ‘धीर’ से घायल कांग्रेस

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बिखरी, अनुशासनहीन और मनमर्जी सहित कार्यकर्ताओं से इतर 'परिवारवाद' से चलाई जा रही कांग्रेस में बेतुके बोलने वालों की कोई कमी अब तक नहीं हुई है, यह…

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पन्ने चूमती कलम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** मैं कागज़ के कोरे पन्नों पर,अविरत अन्तर्मन भाव लिखती हूँ,जन ज़ज़्बातों की मालाओं को,कोरे कागज़ पर रव गढ़ती हूँ। हूँ मौन किन्तु अविरत लेखन…

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११३ दीपों के साथ समिति ने मनाया स्थापना दिवस, पुस्तक पर हुई चर्चा

इंदौर(मप्र)। देश की प्राचीनतम हिंदी संस्था श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति ने अपना ११३ वाँ स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया। इन बीते वर्षों का संक्षिप्त इतिहास, स्थापकों का सादर नमन,…

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परिदृश्य

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ विशाखा ऑफिस के कार्य में व्यस्त थी। इस समय उसे एक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य करना था। वह उसी प्रोजेक्ट कमेटी की हेड थी।विशाखा हर कार्य…

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मंगल कारक शिव शंकर

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:२३ वर्णों का छन्द-७ भगण (ऽ।।) और २ गुरुओं का योग,भगण ×७+२ गुरु, १२-११ वर्ण पर यति ४ चरण समतुकान्त। २११ २११ २११ २११, २११ २११…

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है समन्दर आइना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दे रहा चक्कर पे चक्कर आइना,आइना दर आइना दर आइना। आसमां भी जिसमें चेहरा देख ले,है ज़मीं पर वो समन्दर आइना। आइने से पूछा तू है क्यों उदास,रो…

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