बाल कविता संकलन:रचनाएँ १५ जनवरी तक भी स्वीकार्य
गाजियाबाद (उप्र)। निःशुल्क बाल कविता संकलन के लिए रचनाएँ अब १५ जनवरी तक भी स्वीकार्य की जाएंगी। यह नाम, शहर के नाम तथा स्वयं की तस्वीर के साथ सम्पादक के…
गाजियाबाद (उप्र)। निःशुल्क बाल कविता संकलन के लिए रचनाएँ अब १५ जनवरी तक भी स्वीकार्य की जाएंगी। यह नाम, शहर के नाम तथा स्वयं की तस्वीर के साथ सम्पादक के…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** एक दिन शिवि की सभा में बाज कबूतर लड़ते आएहाय कबूतर शिवि की गोद में कैसे छिप-छिप जाए। "त्राहिमाम हे राजन, मुझको बाज आ रहा खाने।इसीलिए मैं…
मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* रोम-रोम में बसते राम,छिपकर मुझमें रहते राम। क्यों तड़पे मन एक झलक को,जब आँखों में हँसते राम। कण-कण में है राम समाए,गीत सभी हैं रचते राम।…
डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** रूद्रपुर (ऊधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड) की डॉ. पूनम अरोरा द्वारा रचित 'न्याय दर्शन का शैक्षिक महत्व' पढ़ने का अवसर मिला। वर्तमान में लिखे जाने वाले साहित्यों…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* लजाती, शर्माती, इठलाती,सर्दी आई है कंपकंपातीनिकाल लो स्वेटर-रजाई,नहीं तो मुश्किल हो भाई। संग इसके हवा भी है आई,दोनों मिल के ठंडक बढ़ाईआया संग कोहरा…
सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** रामलला भवन में विराज रहे, ढोल, ताशे, नगाडे़ बाज रहे…। ये सिर्फ भवन नहीं हिन्दुओं की भावनाओं का निर्माण,रामलला के भव्य मंदिर में सनातनियों…
ललित गर्ग दिल्ली************************************** देश एवं विदेशों में विलुप्त हो रही विभिन्न पक्षियों की प्रजातियों को बचाने के लिए वर्तमान में 'राष्ट्रीय पक्षी दिवस' की प्रासंगिकता बढ़ी है। सिर्फ अमेरिका में…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मुहब्बतों में खुदाई गवाह होती है।हरेक दिल पे ख़ुदा की निगाह होती है। इबादतों सी मुहब्बत जहाॅं हुआ करती।इनायतें भी अदा बे-पनाह होतीं हैं। खुदी…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** मतलब परस्त सारी रफ़ाक़त है आजकल।इक-दूजे से ये सबको शिकायत है आजकल। देखा जो माल-ओ-ज़र तो तअल्लुक बढ़ा लिए,कुछ रिश्तों की यही तो हक़ीक़त…
सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** कोई बाधा क्या बांध सकेदिल की उड़ान को,अंतर्मन समाए सुख नैननप्रेम जग जगाने को। अथाह प्रेम के सागर में सेउफान भरे मंत्रमुग्ध में,खोई सारी खुशियाँ झंकृतहो दुःख-दर्द…