शुभ दिवाली

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. दीवाली की पावन बेला,आओ दीप जलाएँगे।हाथों में फुलझड़ियाँ लेकर,प्रीत महक बिखराएँगे॥ निशा अमावस रोशन करती,आसमान की थाली में।जगमग दीप जले हैं सारे,खुशियों की दीवाली में॥हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,आओ गले लगाएँगे।दीवाली की पावन बेला… नये-नये परिधानों में सब,दिखते नर अरु नारी है।सजे रंगोली से घर आँगन,बच्चों की फुलवारी है॥माता लक्ष्मी … Read more

ऐसी शरद पूर्णिमा को नमन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. अति शुभ सरस सुहावना सुखद अति,आज हुआ जग में शरद त्रृतु आगमन,सोलह कलाओं युक्त चन्द्रमा प्रकट हुयेधरती पे हुआ महालक्ष्मी का अवतरण। हरे उत्पीड़न है,बहे जो समीरण है,प्रेम का प्रतीक पर्व बांटे नव जीवन है,राधे श्याम नाचें व नचावें जगती को आज,अमृत प्रसाद पा के झूमे त्रिभुवन है। परिचय-विजयलक्ष्मी … Read more

शरद पूर्णिमा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************* शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. कितना सुन्दर मौसम देखो,सतरंगी बन आया है।वन-उपवन अब लगे सुहाना,सबके मन को भाया हैll धूप लगे है शीतल अब तो,लगे आसमां प्यारा है।हरियाली से आच्छादित वन,देखो कितना न्यारा हैllकल-कल बहती नदिया देखो,झरना भी शरमाया है।कितना सुन्दर मौसम आया… लाल पलास लगे अंगारा,दिल में आग लगाई है।झूम … Read more

माँ के द्वार

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ (रचना शिल्प:३० मात्रा,१६-१४ पर यति) हे दु:ख हारिणि,कष्ट विदारिणि,मंगल करणी,जगदंबे।मातु भवानी,भवभय हारिणी,जनकल्याणी हे अंबेll शेरावाली तू ब्रह्माणी,हे वरदानी,दया करो।आज जगत में कष्ट समाया,हे कल्याणी! कष्ट हरोll शैल सुता हे ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटिका सुरेश्वरी।कुष्मांडा हे स्कंदमाता,माँ कात्यायनि महेश्वरीll विपद हारिणी हे जगदंबा,जग के कष्ट हरो माता।अरि संहारिणि दुष्ट विदारिणि,जग कल्याणी जग माताll खड्गधारिणी देवी … Read more

बाबुल का घर जग से प्यारा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************** बाबुल का घर द्वार,लगे हैं जग से प्यारा।मिलता सबका नेह,बिते जीवन ये सारा॥हँसी खुशी का खेल,खेलते हैं सब मिलकर।घर आँगन में पुष्प,महकते सुन्दर खिलकर॥ बचपन बीता आज,इन्हीं के पाकर साया।हाथ पकड़ कर खूब,हमें चलना सिखाया॥बाबुल है भगवान,हमारा पावन नाता।पूजे सब संसार,यही है भाग्य विधाता॥ मिलता है सुख शांति,इन्हीं के चरणों … Read more

दीप जलाऊँ

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************************ (रचना शिल्प:१६/१४) दीप जलाकर इन हाथों से,किरण जहां में फैलाऊँ।चाँद सितारों को झुठलाकर,दूर निशा तम हर जाऊँ॥ रात कालिमा जब भी आए,उजियारा इनसे कर दूँ।गहन तिमिर को चीर-चीर कर,ज्योति पुंज इनमें भर दूँ॥तन-मन को यह करे प्रकाशित,खुशी-खुशी से दीप जलाऊँ।चाँद सितारों को झुठलाकर… मिट्टी का छोटा-सा दीपक,बाती से कुछ कहता … Read more

आया है कोरोना

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************************************* छन्न पकैया छन्न पकैया,आया है कोरोना।बच्चे-बूढ़े घर में बैठे,शुरू हुआ है रोना॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,अपना मुँहूँ छुपाये।बन्द हो गया आना जाना,दूरी सभी बनाये॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,गर्म पियो सब पानी।करो नीम तुलसी का सेवन,इससे है जिनगानी॥ छन्न पकैया छन्न पकैया,मुँह में मास्क लगाना।कोरोना का काल चल रहा,सबको स्वच्छ … Read more

नेता

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:१३ मात्रा(दोहे के विषम चरण की तरह)वाले तीन चरणों से निर्मित,व्यंग और कटाक्ष के लिए लेखन,५ प्रकार के होते हैं) नेता(पूर्व जनक छंद-प्रथम दो चरण सम तुकांत हो)- राजनीति चलती सखे।नित्य नियम रिश्वत रखे।मरे भले जनता सहज। उत्तर जनक छंद(अंतिम दो चरण समतुकांत)- है चुनाव खादी पहन।नेता लड़े चुनाव जब।करते धर्म बनाव … Read more

मात है धरा यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) **************************************************** (रचना शिल्प:समवार्णिक छंद है-प्रत्येक चरण में ७ वर्ण;क्रम १ रगण +१ जगण + १ गुरु। २१ २१ २१ २,२१ २१ २१ २) पावनी धरा सहे,मानवी विकार को।स्वारथी सभी बने,भूल के दुलार को॥ मात है धरा यही,पालती सदैव ही।आरती करें सभी,भूमि भू धरा मही॥ अन्न वित्त धारती,सृष्टि का भला करे॥प्यार और नेह … Read more

गणेश वंदना

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************************************* छन्न पकैया छन्न पकैया,बाल गणेश पधारे।मूषक ऊपर सवार करके,आये मेरे द्वारेll छन्न पकैया छन्न पकैया,बच्चे उनको भाये।सबके घर में जा-जा करके,लड्डू मोदक खायेll छन्न पकैया छन्न पकैया,सबको विद्या देते।छोटे नटखट बाल गणेशा,कभी नहीं कुछ लेतेll छन्न पकैया छन्न पकैया,गौरी पुत्र गणेशा।माता जी है पार्वती और,पिता जी है महेशाll छन्न … Read more