मन से दूर न होय

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* तन से दूरी हो भले,मन से दूर न होय। तन-मन दोनों स्वस्थ हों,सुखी निरोगी होय॥ मतभेदों को भूलकर,सभी एकजुट होय। दुश्मन से मिल के लड़ें,आपा कभी न खोय॥ करे अकारण जो मनुज,देवदूत पर वार। मनुज वे पशु समान हैं,भूल गए संस्कार॥ सुरसा के मुख सा हुआ, ‘कोरोना’ विकराल। बने सूक्ष्म … Read more

आज उदघोष करो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. जीत बने उपहार,आज उदघोष करो, ‘कोरोना’ की हार,आज उदघोष करो। भले अभी आतंक,वेदना,दुख भारी, हरसाये संसार,आज उदघोष करो। कोई भूखा,रहे न प्यासा,ना ही हो लाचार, मानवता से प्यार,आज उदघोष करो। ख़ुद को रक्खें गृह तक सीमित,तो बेहतर, होगा नित्य सुधार,आज उदघोष करो। क्वारेन्टाइन सबसे … Read more

सामाजिक सम्बन्ध ही,एक बनाते देश

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. तन से दूरी हो भले,मन से दूर न होय। तन मन दोनों स्वस्थ हों,सुखी निरोगी होय॥ मतभेदों को भूलकर,सभी एकजुट होय। दुश्मन से मिल के लड़ें,आपा कभी न खोय॥ नहीं किसी को छोड़ता,होय खास या आम। ‘कोराना’ का वायरस,मचा रहा कुहराम॥ सुरसा के मुख सा … Read more

बनो नहीं पत्थर

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. पत्थर से दिल मत लगा,ये तो है बेजान। ऐसे ही रहते यहाँ,मूरख बन इंसान॥ हे मानव पत्थर नहीं,कोमल हृदय सुजान। मृदु वाणी भाषा सरल,होना कर्म प्रधान॥ ठोकर खाना जिंदगी,बच के रहना आप। मानव की पहचान क्या,नहीं पता है माप॥ बाहर से पत्थर भले,अंदर … Read more

सामाजिक रख दूरियाँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष……….. सहसा आयी आपदा, ‘कोरोना’ अभिशाप। आपस में रख दूरियाँ,वरन् भोग संताप॥ प्राकृतिक अवसाद यह,छुआछूत का रोग। सामाजिक सम्बन्ध को,बंद करें हम लोग॥ रखें हाथ निर्मल सदा,बार-बार धो हाथ। सैनिटाइज हाथ को,तजें न अपना साथ।। तकनीकी का ज़माना,मोबाइल का जाल। रखें दूरियाँ दो … Read more

मृगतृष्णा

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मानव मन लालच भरे,मृगतृष्णा बन आय। रुके नहीं यह साथियों,दिन-दिन बढ़ता जाय॥ मृगतृष्णा इक भूख है,होय अनैतिक काम। होता इससे है जहां,मानव फिर बदनाम॥ कहीं लूट और जंग भी,होते हैं व्यभिचार। मृगतृष्णा की प्यास में,भटक रहे संसार॥ भाई से भाई लड़े,कलह द्वेष घर द्वार। छिन जाते हैं सुख … Read more

अमृतवाणी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवन नित अक्षर प्रथम,चतुर्वेद आलोक। शब्द अर्थ अभिव्यंजना,मिले कीर्ति हर शोक॥ नभ प्रभात अरुणिम किरण,नव जीवन संचार। दैनन्दिन जीवन पथी,चले कर्म आचार॥ उलझन पर होती मनुज,धीर वीर पहचान। संबल साहस प्रेमरस,मति विवेक विज्ञान॥ मानसून बदले प्रकृति,मनुज स्वार्थ से लुप्त। नित धरा कँपे भूस्खलन,अनल वात घन कुप्त॥ संकल्पित चातक … Read more

जीवन है अनमोल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दुर्लभ मानव देह जन,सुनते कहते बोल। मानवता हित ‘विज्ञ’ हो,जीवन है अनमोल॥ धरा जीव मय मात्र ग्रह,पढ़े यही भूगोल। सीख ‘विज्ञ’ विज्ञान लो,जीवन है अनमोल॥ मानव में क्षमता बहुत,हिय दृग देखो खोल। व्यर्थ ‘विज्ञ’ खोएँ नहीं,जीवन है अनमोल॥ मस्तक ‘विज्ञ’ विचित्र है,नर निजमोल सतोल। खोल अनोखे ज्ञान पट,जीवन है अनमोल॥ ‘विज्ञ’ … Read more

गृहवास करो अविराम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जनमानस मझधार में,कोराना संताप। नभप्रभात आरोग्य जग,मिटे रोग हर पाप॥ इस आपद के समय में,गृहवास करो अविराम। निर्मल कर श्री राम मन,रख दूरी सुखधाम॥ रख रुमाल कर साफ मुख,कर केहुनी उपयोग। सब मिल रोकें क्रान्ति कर,भागेगा यह रोग॥ आएगी अरुणिम सुबह,खुशियाँ मुख मुस्कान। महकेगा गृहवास फिर,आश रखो भगवान॥ … Read more

झरोखा

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** सूर्य किरण की लालिमा, लगे मुझे शुभ आज। देख आँख मदहोश है, रूप-रंग का साज! आँख झरोखे देखते, जो रखते हैं ध्यान। पढ़ लेते अनुमान से, किस तन में अज्ञान॥ खिड़की शोभा महल का, दृश्य प्रकाश दिखाय। इससे रोशन घर हुए, मन उमंग भर जाय॥ नेह भाव से जुड़ चलो, मित्र … Read more