कुल पृष्ठ दर्शन : 212

You are currently viewing भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय के खिलाफ किया प्रदर्शन

भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय के खिलाफ किया प्रदर्शन

उप्र।

संघ लोक सेवा आयोग के आधुनिकीकरण की आड़ में आयोग अध्यक्ष प्रभात कुमार प्रक्रियाओं से छेड़छाड़ कर अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को बेजा लाभ पहुंचा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि,आवेदन भरते समय माध्यम भरने का कोई विकल्प नहीं होता। इसका परिणाम यह होता है कि एक ही मूल्यांकनकर्ता दोनों माध्यमों की उत्तरपुस्तिकाएं जाँचता है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा निरंतर सुधार के नाम पर किए जा रहे बदलाव की आड़ में व्याप्त अनियमितता और भ्रष्टाचार से क्षुब्ध होकर अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश प्रतियोगी छात्र मंच के बैनर तले आयोग के समक्ष शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्र लोक सेवा आयोग पहुंचे। आंदोलन का नेतृत्व मंच अध्यक्ष संदीप सिंह ने किया।तथा उन्हें अनुज द्विवेदी,सौरभ सिंह व राजेश मौर्य आदि का सहयोग मिला। यहाँ बताया गया कि,अंग्रेजी के आकर्षण से अभिभूत मूल्यांकनकर्ता हिंदी भाषा के साथ न्याय नहीं कर पाते,जबकि दूसरी तरफ मूल प्रश्न पत्र अंग्रेजी में बनाया जाता है,जिसका हिंदी या वर्नाकुलर भाषाओं में अनुवाद बेहद अप्रचलित व क्लिष्ट शब्दों में किया जाता है। हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को प्रश्नों को समझने में समस्याएँ आती हैं। इस भेदभाव का परिणाम यह है कि क्षेत्रीय भाषाओं से सिविल सेवा-लोक सेवाओं की परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों की संख्या निरंतर प्रशासन में कम होती जा रही है। इससे प्रशासन का भाषाई व क्षेत्रीय समावेशी चरित्र बिगड़ रहा है। भारत की जनसंख्या में शहरी जनसंख्या ३२ फीसदी है। शहरी क्षेत्रों में ही अधिकतर पब्लिक विद्यालय हैं,जहा अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाती है,जबकि ग्रामीण जनसंख्या ६७.७ फीसदी है,जहां शिक्षा का मुख्य माध्यम हिंदी या वर्नाकुलर भाषाएँ है। भारत की अधिकतर जनसंख्या की शिक्षा-दीक्षा इन्हीं भाषाओं में होती है। इससे भेदभाव आधारित प्रणाली का जन्म हो रहा है,जो निकट भविष्य में भारतीय प्रशासन के समक्ष अनेक चुनौतियां पैदा कर सकती है।
उन्होंने अध्यक्ष एवं सचिव पर आरोप लगाया कि,पदों पर चहेते लोगों को चयन दिलाने के लिए प्रक्रियाओं के साथ खिलवाड़ कर उन्हें लाभ पहुँचाया जा रहा है। अभ्यार्थियों का आरोप है कि आयोग ने विज्ञापन की शर्तों का पालन नहीं किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस की चुनावी रैली में आश्वासन दिया था कि आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से संपन्न करवाकर आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार किया जाएगा,पर सीबीआई जांच अभी तक किसी परिणाम पर नहीं पहुंच पाई है। महत्वपूर्ण मुद्दा हिंदी माध्यम के अभ्यार्थियों के साथ अनुवाद एवं मूल्यांकन में हो रहे भेदभाव का है। इस संदर्भ में अभ्यर्थियों का प्रतिनिधिमंडल आयोग उपसचिव से मिला तथा स्पष्ट कर दिया कि एक सप्ताह में विभिन्न मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें,नहीं तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

Leave a Reply