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सूटकेस

वीना सक्सेना
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मेट्रो रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद मुझे न्यू दिल्ली स्टेशन तक जाना था। मैं अपना सूटकेस,जो रोलिंग था,ले कर चल पड़ीl थोड़ी दूर चलने पर दस-पंद्रह सीढ़ियों की एक चढ़ाई आई। उसे देख कर मैं डर गई,और नीचे खड़े होकर सोचने लगी कि मैं सूटकेस के साथ ऊपर कैसे चढूंगी,मुझे स्पॉन्डिलाइटिस है। मेरे लिए बहुत परेशानी की बात थी। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं! वहां ना तो कोई कुली था,ना एस्केलेटर और ना ही कोई लिफ्ट।
अभी मैं सोच ही रही थी कि लंबा-सा एक लड़का मेरे पास आया,और बोला,-आंटी लाइए आपका सूटकेस मुझे दे दीजिएl मुझे थोड़ा डर लगा। दिल्ली के बारे में बहुत कुछ सुना थाl वह लड़का मुझे समझाने लगा कि,-आप मुझे दे दीजिएl आप डरें नहीं,आपके साथ चलूंगा। मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था,मैंने कुछ अचकचाते हुए उसे हाँ कर दिया। वह मेरा सूटकेस लेकर मेरे साथ साथ चलने लगा।
दस सीढ़ियां ऊपर चढ़ने के बाद वह मेरा सूटकेस रखकर भीड़ में कहीं गुम हो गया। थोड़ा आगे बढ़ी,एक मोड़ आया तथा इस बार बीस-पच्चीस सीढ़ियाँ आ गई। मैं बुरी तरह घबरा गई। भीड़ भी बहुत हो गई थी। इतने में वह लड़का दौड़ता हुआ फिर से आ गया,और सूटकेस लेकर तेजी से ऊपर चढ़ गया। अब मैं बुरी तरह डर गई,क्योंकि अब वह दिखाई नहीं दे रहा था,तथा भीड़ बहुत अधिक हो गई थी। सीढ़ियाँ चढ़ते हुए मैं सोचने लगी कि,आखिर वही हुआ जिसका डर थाl उस लड़के ने पहले मेरा विश्वास जीता और फिर सूटकेस लेकर गायब हो गयाl मैं घबराहट में पसीना-पसीना हो गई।
अचानक भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ गईl इतने में एक महिला मेरे पास आई,और बोली-वह उधर कोई आपको बुला रहा हैl मैं उधर देखने लगी। वहां दूर मुझे वह लड़का दिखाई दिया,जो बहुत हड़बड़ी में था। उसके हाथ में मेरा सूटकेस था। मैं जैसे ही पास आई,उसने कहा,-आंटी मेरी गुवाहाटी की ट्रेन है थोड़ी देर बाद,इसलिए मैं जल्दी से ऊपर आ गया था। कहकर उसने मुझे अपना सूटकेस पकड़ाया,तो मैंने उसे धन्यवाद किया। उसने मेरे पाँव छुए और दौड़ता हुआ वहां से चला गया। शायद उसकी ट्रेन का टाइम हो गया था। मैं उसका नाम तक न पूछ पाई। मैं सोचने लगी कि अभी भी हमारे संस्कार जिंदा हैं।

परिचय : श्रीमती वीना सक्सेना की पहचान इंदौर से मध्यप्रदेश तक में लेखिका और समाजसेविका की है।जन्मतिथि-२३ अक्टूबर एवं जन्म स्थान-सिकंदराराऊ (उत्तरप्रदेश)है। वर्तमान में इंदौर में ही रहती हैं। आप प्रदेश के अलावा अन्य प्रान्तों में भी २० से अधिक वर्ष से समाजसेवा में सक्रिय हैं। मन के भावों को कलम से अभिव्यक्ति देने में माहिर श्रीमती सक्सेना को कैदी महिलाओं औऱ फुटपाथी बच्चों को संस्कार शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। आपने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।आपकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक़ी हैं। आप अच्छी साहित्यकार के साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर टेनिस टूर्नामेंट में चैम्पियन भी रही हैं। `कायस्थ गौरव` और `कायस्थ प्रतिभा` सम्मान से विशेष रूप से अंलकृत श्रीमती सक्सेना के कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैंl आपका कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है तथा सामजिक गतिविधि के तहत महिला समाज की कई इकाइयों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैंl उत्कृष्ट मंच संचालक होने के साथ ही बीएसएनएल, महिला उत्पीड़न समिति की सदस्य भी हैंl आपकी लेखन विधा खास तौर से लघुकथा हैl आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना हैl

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