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मन की बात

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान…

समझाऊँ कैसे मैं, मन की बात,
जानकर भी बन रहे अनजान
स्वस्थ जीवन को चाहिए,
स्वच्छ जमीन, स्वच्छ आसमान।

जीव-जन्तु हैं, धरा पर अनेक,
उसमें मनुज सबसे बुद्धिमान
होड़ लगी विकास प्रक्रिया की,
लगाए जा रहे इसमें, जी-जान।

प्रदूषित हो रहे हैं नीर, पवन,
डाल रहे संकट में, अपनी जान
ध्वनि, मिट्टी, परमाणु प्रदूषण,
प्लास्टिक प्रदूषण सबसे महान।

अन्न, पवन और वारि बिना,
सम्भव नहीं है जीवन यहाँ
पर्यावरण सन्तुलन बना रहे,
तो प्राकृतिक चीजें सुलभ यहाँ।

अधिक मोटर, और कारखाने,
ध्वनि सन्तुलन रहे बिगाड़
बढ़ती जनसंख्या, दूषित अन्न,
स्वास्थ्य में ला रहे हैं, ये विकार।

सूरज अपना ताप उगल रहा
ताल-तलैया और सूखी मटकी
लुप्त हो रहे, जीव-जन्तु सब
सृष्टि बीच भँवर आ अटकी।

समस्या नहीं यह सिर्फ ग्राम की,
इससे घिरा है सम्पूर्ण संसार
नहीं सोंच रहे, क्या दे जाएंगे,
अगली पीढ़ी को हम उपहार।

उचित कदम, ना उठा पाएं हम,
अगर हमने लिया नहीं सँज्ञान
जीवन संकट में डालेगा,
अपना जीवनदायी, ही विज्ञान।

संकल्प करो, अपना नारा होगा,
प्रदूषण मुक्त जहां हमारा होगा।
प्लास्टिक से नाता हम तोड़ेंगे,
हरियाली से अपना नाता होगा॥

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