कुल पृष्ठ दर्शन : 266

You are currently viewing काम की जीत से मुगालते दूर

काम की जीत से मुगालते दूर

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
***********************************************************************
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की प्रचंड एक सन्देश तो बहुत ही अच्छा दे रही है कि जनता काम चाहती है,परिणाम को प्रणाम करती है।सामाजिक सरोकार ही जनता चाहती है,उसे अपनी चिंता करने वाली सरकार चाहिए। राष्ट्रीय मुद्दे व स्थानीय मुद्दे में अन्तर को तो समझना ही होगा।
इस बार दिल्ली का चुनाव काम बनाम तथाकथित राष्ट्रवाद के बीच हुआ। शाहीन बाग का मुद्दा पूरे चुनाव में छाया रहा। हिन्दू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान,फिर कुछ न मिला तो भाजपा हनुमान चालीसा-लाभ के लोभ में शाहीन बाग के सब्ज़बाग में खोई रही। अपने को महा चाणक्य समझने वाले गृहमंत्री अमित शाह जिनके अधीन दिल्ली पुलिस भी आती है,मतों की फ़सल उगाने को ले कर शाहीन बाग में आन्दोलन की लम्बाई बढ़ाते रहे,चाहे आम नागरिक कितने दुखी हों। अब उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र व दिल्ली सरकार को ४ माह के बच्चे की मौत पर फटकार लगाई व जल्द मामला सुलझा कर आम नागरिकों की परेशानी दूर करने को कहा। क्या यह केन्द्रीय सरकार की विफलता नहीं है ? मत की राजनीति पर बाकी सब कुछ कुर्बान!एक न्यायोचित दिखने वाला ‘सीएए’ आज गले की फाँस बन गया,ढाई माह से आंदोलन,प्रदर्शन,विरोध!
पहले सबको विश्वास में न लेने की गलती कर दी,पर अब सुधार करने में जिद,अहंकार,सत्ता का दर्प आड़े आ रहा है। क्या हर मामला उच्चतम न्यायालय के दख़ल के बाद ही हल होना नियति बन गया है !
शायद यह भारत में पहला चुनाव है,जिसमें सतारुढ़ दल का मुख्यमंत्री यह कहे कि गर मैंने इन पांच सालों में काम किया है तो मुझे वोट दीजिये,अन्यथा नहीं। वास्तव में यह लोकतंत्र में हिम्मत का काम है। आम आदमी पार्टी ने स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में काफी हद तक सुधार किया,पानी २० हज़ार लीटर, बिजली २०० यूनिट मुफ्त व महिलाओं के लिए बस यात्रा,बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा मुफ्त। आम नागरिक को घर के बजट में कमी होती नजर आएगी तो वो खुश होगा ही। मुफ्त योजना के लिए अरविन्द केजरीवाल को पानी पी-पी कर कोसने वाली भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में इन घोषणाओं को चालू रखने के साथ ही विद्यालय व महाविद्यालय की छात्राओं को साईकल व स्कूटी मुफ्त देने की घोषणा कर दी। कांग्रेस तो औऱ आगे निकल गई! ३०० यूनिट तक बिजली मुफ्त,२० हज़ार लीटर मुफ्त पानी के साथ नगद वापसी सुविधा भी कम उपयोग पर। सबका एक ही फरमान- ‘सत्ता के लिए कुछ भी करेगा।’ झारखंड व महाराष्ट्र सरकार ने १०० यूनिट,प. बंगाल सरकार ने ७५ यूनिट तक बिजली मुफ्त करने की घोषणा कर दी। यह सत्ता का ही कमाल है जनाब!
भाजपा किसानों को छह हज़ार दे,गेंहू- चावल २ रुपये किलो दे,आवास गैस मुफ्त दे तो ठीक,कोई और दे तो गलत परिपाटी। राष्ट्रवाद की माला जपने से,हिन्दू-मुसलमान का रोना रोने से स्थानीय समस्याएं तो हल नहीं होती। कहाँ है सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास ? जुमला ही बन कर रह गया यह भी।
दिल्ली में सत्ता की द्रोपदी के दावेदार कई हैं,यहां की पुलिस केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन,डीडीए स्वायत्त संस्थान,एमसीडी, एनडीएमसी, कैंटोनमेंट,अधिकार क्षेत्र अलग और दिल्ली सरकार । ऊपर से तीन साल से ज्यादा समय तक उप-राज्यपाल से अधिकारों की जंग। यह तो उच्चतम न्यायालय के स्पष्टीकरण के बाद दिल्ली सरकार के कुछ हाथ खुले। जब सारे देश का शासन तंत्र दिल्ली में बैठे सत्ताधीशों ने चलाना है तो केन्द्रीय सरकार का दायित्व ओर बढ़ जाता है
विशेषकर तब,जब दिल्ली की अपनी सरकार विरोधी दल की हो,पर अंतरराष्ट्रीय छवि बिगड़ने की चिंता किसी को भी नहीं।
महात्मा गांधी का राष्ट्रवाद हिन्दू-मुसलमान दोनों को ले कर है। यही सत्यता है,इसी पर चलना है।भारतीय होने का धर्म से कोई लेना- देना नहीं है। ऐसा माहौल क्यों बना कि भाजपा का विरोधी होना क्या राष्ट्र विरोधी हो गया? सब दलों के लोग यहाँ पहले भारतीय हैं,भारत सबका है। हिंदुओं का सशक्तिकरण क्या मुस्लिमों को अलग करने से होगा! ऊपर बैठे सत्ताधीशों को रणनीति बदलनी होगी।
दिल्ली का पूरा चुनाव केजरीवाल के व्यक्तित्व के चारों और लड़ा गया। सभी के निशाने पर वही थे। भाजपा ने २०० सांसद, ११ मुख्यमंत्री, स्वयं प्रधानमंत्री को और केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कई दिग्गज़ों को उतारा ,क्या यह प्रचंड बहुमत वाली पार्टी की घबराहट नहीं!
भाजपा के अति आक्रामक प्रचार का जवाब अरविन्द केजरीवाल द्वारा शिष्टता व विनम्रता के साथ देना सकारात्मक रहा। अब श्री केजरीवाल को पूर्ण परिपक्वता का परिचय केन्द्र के साथ सामंजस्य रखते हुए देना होगा । लोकतंत्र के चुनाव में हार-जीत किसी की भी हो,विजयी होगी हमेशा भारतमाता ही। ऐसा ही होना चाहिए। इसी में सबकी जीत है। यह देश हम सबका है,इसके निर्माण में हम सबका योगदान होना चाहिए।
भाजपा के कुछ नेताओं का अहंकार से भरा बड़बोलापन महंगा पड़ गया। आम आदमी पार्टी बस अपने द्वारा किए विकास कार्यों को मुद्दा बना कर ही जीत गई।
यह देश के अन्य राज्यों की सरकारों के लिए बहुत बड़ा सबक है,वहाँ धरातल पर किया गया काम ही मत दिलाएगा,सिर्फ राष्ट्रीय सरोकार के विषयों का गुणगान करने व हुंकार भरने से चुनाव जीतना सम्भव नहीं है। केन्द्रीय सरकार को भी यह एहसास हो गया कि राष्ट्रीय मुद्दे लोकसभा के चुनाव में तो लहर बना देंगे,पर विधानसभा चुनाव में नहीं।
अब हमें यह आशा करनी चाहिए कि दिल्ली चुनावों से सबक ले कर बाकी राज्य भी जुबानी जमा-खर्च न करके सिर्फ विकास कर के ही मत गंगा की नैया पार करने में सफल होंगे। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है व जनता के लिए भी।

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैl जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैl आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैl हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैl आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैl आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैl १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैl प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैl इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैl आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंl प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक,धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

Leave a Reply