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होली आई

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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होली आई भाई होली आई,
रंग गुलाल की मस्ती है छाई।
ले लो रंग गुलाल संग पिचकारी,
होली मनाने की करो तैयारी।

आओ दादा,आओ दादी,
काका संग आओ काकी।
बना लो अब अपनी टोली,
सब मिलकर खेलो होली।

होली है रंगों का त्यौहार,
लाया संग मस्ती अपार।
खेलो रंग बजाओ मृदंग,
फैलाओ चहुँओर उमंग।

आज मिलेंगे नए-पुराने मित्रों से,
जाग उठेंगे भाव पुराने मित्रों से।
आज ना कोई अमीर और गरीब,
होंगे आज सभी दिल के करीब।

होली आती,खुशियाँ लाती,
सबके मन को यह भाती।
दूजे पर डाल रंगों की बौछार,
फैलाएंगे अमन,शांति और प्यार।

पवित्र है यह होली का त्यौहार,
प्रकृति का रंगों से होता श्रृंगार।
लगा दें यदि हम हरियाली अपार,
सुखी होगा फिर यह पूरा संसार।

अयोध्या में खेलें सिया राम होली,
वृन्दावन में सजी कृष्ण की टोली।
चारों ओर सभी होली के रंग रंगे हैं,
झारखण्डी होली राजू संग सजे हैं।

पवित्र है यह होली का त्यौहार,
प्रकृति का रंगों से होता श्रृंगार।
लगा दें यदि हम हरियाली अपार,
सुखी होगा फिर यह पूरा संसार॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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