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शहीदों को श्रंद्धाजलि

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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घर का प्रणाम,परिवार का प्रणाम तुम्हें,
गाँव,गली,खेत,खलिहान,का प्रणाम है।
राह में रुके नहीं,और फर्ज से भी डिगे नहीं,
मरते हुए भी किया ध्वज को प्रणाम है।
हौंसले बुलन्द है,शहादत के नाम आज,
रक्त वही धन्य आए देश के जो काम है।
मातृ भू की आबरू में आँच नहीं आई जरा,
शौर्य के प्रतीक सारे राष्ट्र का प्रणाम है॥

परिचय-रायपुर में बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl `अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl ३ विषय (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैl रामायण विशारद की भी शिक्षा प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में खजांची, सहायक प्रबंधक,प्रबंधक आदि पदों पर काम कर चुके श्री श्रीवास्तव का वर्तमान में एम.बी.ए. जारी है,जबकि पीएच.-डी. में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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