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व्यवहार का ज्ञान-आचरण है हिन्दी

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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हिंदी भाषा हमें ज्ञान विवेक और भावपूर्ण आचरण व्यवहार का ज्ञान कराती है। हिंदी भाषा के ग्रंथों में ज्ञान की शिरोमणि अगणित लुकी-छुपी सी स्पष्ट नजर आती है,जो हिंदी भाषा को पढ़ता है,वही इन तथ्यों का अर्थ समझ सकता है।
हिंदी भाषा हमेशा सभी भाषाओं से अलग पहचान बनाने वाली भाषा रही है। इस भाषा में रहने वाले लोग भी अपनी पहचान अलग ही अलंकृत करते हैं। हिंदुस्तान में हिंदी भाषा कई रूपों में लिखी जाती है। सबसे सुंदर और सरल भाषा हमारी मातृभाषा हिंदी है। इस भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाए,तो इसकी पहचान विश्व में अलग ही अलंकृत होगी।
हमारी भाषा सद्विचारों वाली है,जो नियम संयम,आचार-विचार का ज्ञान कराती है। वेद पुराणों में जिसके छाया लेख विद्यमान हैं। कहना अनुचित नहीं होगा कि,हिंदी भाषा की इन रचनाओं को पढ़ने वाला खुद ही विद्वान हो जाता है। इसीलिए हमारी हिंदी सदैव अगणित रही है,सबको जोड़ने वाली रही है,महती रही है,पूजनीय रही है,और हमेशा रहेगी-
‘देश की शान हमारी हिंदी
एक पहचान हमारी हिंदी।’

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