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कुमकुम

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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कुमकुम रोली साथ में,सुन्दर लागे भाल।
नारी की है साज ये, छम्मक छल्लो चाल॥
छम्मक छल्लो चाल,देखते मन को भाती।
कुमकुम लाली माथ,नाज नखरा छलकाती॥
कहे ‘विनायक राज’,सजाना नारी को तुम।
स्वर्ग परी-सी मान,लगे जब माथे कुमकुम॥

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