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मिलकर आओ रोज मनाएँ दिवाली…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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एक-एक कई दीप जलाकर,
दीपावली हमने मनाई ।
अगणित दीप हृदय में जल गए,
खुशियां मन में हर्षाई।

मन-आँगन कई दीप जले थे,
अंधियारा ठहर न पाया।
काफी दिनों में दीन भी उस दिन,
वर्ष बाद फिर मन से हर्षाया।

‘अवध’ दीपों की कीर्ति बनाकर,
दुनिया में इठलाता है।
एक दिवस जो हुआ उजाला,
क्यों शेष बरस तरसाता है।

शुभकामनाएं, मिठाई-बधाई,
उस दिन ढेरों-ढेर असीम।
दिवस गुजर गया,दीपक बुझ गया ,
बाकी रह गई मन में सीम(नमी)।

तेल नहीं है या,दीप है टूटा,
क्यों अंधियारा बलशाली।
एक दिवस जब सब जग जगमग,
बन सकती हर रोज दिवाली।

प्रयास अथक हो,ईमान से समृद्ध,
दीन की न हो कोई रात फिर काली।
मिलकर आओ रोज मनाएं,
हम-तुम वो खुशहाल दिवाली॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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