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हिंदी को अपनाना होगा

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष….

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

जब तक हिन्दी को भारत में मान नहीं है,
तब तक जानो खुद की भी पहचान नहीं है।
ज्ञान-मान वो हिन्दी का बतलाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

राष्ट्र के हित में आत्मीयता जब हिन्दी होगी,
क्यों ना ताकत दुनिया में तब दुगनी होगी।
हाथ से हस्ताक्षर हिन्दी में बनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

शासन के अनुदेशों से शक्ति इसे मिली वो,
मन में प्रेम जगा कर इसको फिर क्षमता दो।
जन-जन को यह सत्य भी समझाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

पढ़ो,लिखो,बोलो,इसको मन से अपनाओ,
विजय-पताका हिन्दी की जग में फहराओ।
जग को हिन्दी से अवगत करवाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

दीप से दीप जले तो चमके यूँ उजियारा,
ज्ञान से ज्ञान बढ़े तो हिन्दी नव-जग सारा।
हिन्दी की महिमा को जगमगवाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

राष्ट्रभाषा से मातृभाषा के उस पद तक पहुंचे,
‘डी.कुमार’ की ‘अजस्र’ पुकार जन-जन तक पहुंचे।
सोए हुए सपनों को फिर चमकाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा।

ओ! हिन्द-जनों,तुम्हें हिन्दी को अपनाना होगा,
हिन्दी-स्नेह वो मन में फिर से जगाना होगा॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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