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सबकी विनती सुन लो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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ऐ भारतवर्ष के लोगों,सब-सबकी विनती सुन लो,
जब तक न मिटे ये ‘कोरोना’,अपने ही घर में रह लो।

यमदूत बना ये दानव,जन-मन की जान का दुश्मन,
इसको न किसी ने देखा न इसके कहीं थे लक्षण।
न जाने आया कहाँँ से ये बनके मौत सभी की,
इसके जैसे ही मिटाओ,इसे बनकर इसके ही दुश्मन।
ऐ भारतवर्ष के लोगों…

घर में रहना है सबको बस साफ-सफाई से अपनी,
हर घण्टे हाथों को धोना,साँस खुद की खुद में रखनी।
इक-दूजे से न मिलें हम कुछ दिन ही है ये संकट,
दिन क्या घण्टों में ये तो,मिलता है गर्त में अपनी।
ऐ भारतवर्ष के लोगों…

त्रेता,द्वापर,युग से ही न प्रजाति बची दानव की,
श्री राम कृष्ण देवों ने,तब ही समाप्त कर दी थी।
न भक्ति और न शक्ति संकल्प ही इसका नाशक,
कोई खास भी बात नहीं है कुछ दिन घर में रहने की।
ऐ भारतवर्ष के लोगों…

मानव ही वाहन इसके मानव का ही ये शिकारी,
पनपी है मानव से ही विनाश की ये महामारी।
तालाबंदी वाले दिनों में इसे मिल न पाएं मानव,
ये कोरोना का दानव फिर,न बचेगा अत्याचारी।
ऐ भारतवर्ष के लोगों…

भारत रक्षा की बिनती है प्राणी रक्षा अपील भी,
सब दूर रहो खुद सबसे,बस ये ही रीत इक जीत की।
मात्-पिता और भाईयों-बहनों इक-दूजे संग रहो घर में,
घर से ही देश-दुनिया है,ये ही है आपसी अपील भी।
ऐ भारतवर्ष के लोगों…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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