डॉ. कविश्री जायसवाल
मेरठ(उत्तरप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से….
प्यार नहीं प्रेम करती हूँ तुम्हें,
पाना नहीं जीना चाहती हूँ तुम्हें क्योंकि
पकड़ना नहीं थामना चाहती हूँ तुम्हें
बाँधना नहीं समेटना चाहती हूँ तुम्हें।
अब तोड़ना नहीं खोलना चाहती हूँ तुम्हें,
पहचानना नहीं जानना चाहती हूँ तुम्हें
संभालना नहीं निखारना चाहती हूँ तुम्हें,
देखना नहीं महसूस करना चाहती हूँ तुम्हें।
पास नहीं,साथ चाहती हूँ तुम्हें,
माँगना नहीं,समर्पित होना चाहती हूँ तुम्हें॥