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गिद्धों को मानव क्यूँ बनाया

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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हैदराबाद घटना-विशेष रचना………..
उस मानव पर मुझे घिन आती है,
जो नारी पर गलत निगाह डालता है।
अकेले बात करने की क्या औकात नहीं,
चार-पाँच एक होकर गिरोह बनाता है।

खुदा को भी बहुत पछतावा है,
उन गिद्धों को मानव क्यूँ बनाया है ?
कुकर्म की गंदगी मन में बसाई है,
सुनसान में नारी को `शिकार` बनाया है।

न जाने कितनी बहन-बेटी के,
उनके अरमानों को उजाड़ा है।
न रहम किसी के दिल में हुआ,
दरिंदगी का नंगा नाच नचाया है।

आग में जिस नारी को जलाया है,
लपटों से भी आवाज सुनाई है।
अरे नामर्दों मर गई तुम्हारी इंसानियत,
बेगुनाह के लिए लाज भी नहीं आई हैll

परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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