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मायने

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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पहली बार सिर उठाया,
पहली बार
अपने को स्त्री से अलग,
हट कर सोचा।
पहली बार हुई आहत,
पहली बार अपनी अस्मिता
के लिये आवाज उठाई,
पहली बार।
पर कितना अंतर है अब औऱ तब में,
तब जबकि
पहली बार मैं खुल कर,
बोली थी।
महाविद्यालय के वार्षिक उत्सव
में।

वो आवाज थी,
मेरे स्वन्त्रत अभिव्यक्ति की…
लोगो ने सराहा,पीठ ठोंकी,
क्या खूब बोलती हो
ऐसे ही विचार होना चाहिए।
पर आज जब,
किसी दिन शादी के बाद
एक उत्सव में जब बोली-
इस बार थोड़ी झिझकी,
थोड़ी सकुचाई..
क्योंकि,सास की तीखी नजर
ससुर का गुस्सा,
मेरे सामने था।
फिर भी कोशिश की,
बेबाकी से अपने विचार
रखने की।
पर तब सुनने को मिला-
थोड़ा तीखा बोली…
कैसी आजाद है यह!
इतना भी बेबाकी से नहीं बोलना चाहिए,
आखिर सब बैठे हैं।

बस एक रिश्ते में ही तो बंधी थी मैं,
पर अब
वक़्त के साथ,
स्वतंत्रता के
बस मायने बदल गए
थे…!!

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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