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न जाने इंतजार किसका है ?

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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बहुत दिनों से
सुनसान है त्रिवेणी का तिराहा,
जहाँ
गाहे-बगाहे,
अक्सर ही दिख जाते हैं
एक लड़का और एक लड़की,
करते हुए प्रेमालाप।
उस तिरहे से गुजरने वाले लोग,
घंटों करते हैं
वहाँ का महिमामंडन,
किसी पुलिया पर
कैंटीन में,
या हाॅस्टल में
बैठकर,
दोस्तों के साथ।

त्रिवेणी का तिराहा जानता है,
युवा मनोभाव
और जन-आलोचना,
वह जान चुका है
कैसे बनायी जाती है
प्रेम की भूमिका।
हर रोज उसने देखा है,
एक प्रेमी और प्रेमिका
कैसे खिंचे चले आते हैं,
एक-दूसरे के पास ?
कैसे छू लेते हैं
एक-दूसरे का हाथ ?
और कैसे पहुंच जाता है
धीरे-धीरे
एक-दूसरे के होंठों पर होंठ ?
अब वह नहीं देख रहा
उनकी हँसी और खिलखिलाहट,
वह नहीं देख रहा
एक-दूसरे का पोंछते हुए आँसू,
वह नहीं देख रहा
किसी युवती को
जमीन पर रगड़ते हुए एड़ियां।
वह नहीं देख रहा
वहाँ किसी के इंतजार में,
किसी को दाँत से काटते हुए नाखून
वह नहीं देख रहा,
किसी लड़की के
उभरे उरोज और नितंब की,
गोलाइयों पर
टकटकी लगाए
किसी लड़के का छिछोरापन।
बस वह देख रहा है
उदास सड़कें,
उदास कलियाँ
और उदास पंछी।

और सच कहूँ तो,
त्रिवेणी तिराहा भी बहुत उदास है।
न जाने उसे इंतजार किसका है…!!

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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