बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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नये वर्ष की पावन बेला,
चहुँदिशि खुशियाँ छाई है।
देखो जल थल नभ में सारे,
अरुणाई घिर आई हैll
पंछी कलरव करते देखो,
नव प्रभात की बेला में।
घूम रहे सब बच्चे-बूढ़े,
नये वर्ष के मेला मेंll
सुखद सुहाना मौसम भी है,
चले पवन पुरवाई है।
नये वर्ष की पावन बेला…
हर घर खुशहाली का मंजर,
नहीं रोग का साया हो।
प्रेम भाव मानवता सबमें,
कोई नहीं पराया होll
ऐसा शुभ संदेशा लेकर,
मन में ज्योति जलाई है।
नये वर्ष की पावन बेला…
बीती बातें भूल चलो अब,
नये काम शुरुआत करें।
नई डगर पर चलना है अब,
आशाओं की बात करेंll
हिम्मत अपनी मंजिल अपनी,
हममें भी तरुणाई है।
नये वर्ष की पावन बेला…ll