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सदभावना की हो हरियाली

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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फाल्गुन मास का संदेश,
ज्यों प्रकृति में आई बहार
चित्त में सदभावना की हो,
हरियाली,सुख-शांति की बहारl

प्रकृति पुरुष का हुआ मिलन,
प्रेम का चित्त में उपजा अंकुर
तीनों गुणों ने रची सृष्टि,
सत्-रज-तम का है बसेराl

तीनों गुणों से न्यारा,है प्यारा,
अनन्त अनोखा भेद निराला
सदगुरू चरणों का मिला सहारा,
दिव्य दृष्टि से घट में उजालाl

फाल्गुन मास ने दी सीख,
भक्ति-शक्ति में अदभुत खजाना
भक्त प्रहलाद ने यह सत्य दिखाया,
भक्ति में शक्ति,है भरपूर खजानाl

होलिका ने जलकर जाना,
होली का रंग प्रेम-भक्ति का गुलाल
चित्त को हमेशा रंगते रहना,
पांच दुष्टों का हो संहारl

ज्ञान की सब लें तलवार,
मानवता का हो संचार।
करें एक-दूजे का सम्मान,
विश्व का हो कल्याण॥

परिचय–सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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