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असली-नकली चेहरा!

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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किसी की आँखों शबनम जैसे बेवफा के आँसू,
किसी के जख्म जहरीली मुस्कान।

किसी का मुस्कुराता गम में भी चेहरा,
औरों के गम पे मुस्कुराता किसी का चेहरा।

जवां जोश दुनिया की उम्मीद का चेहरा, जिन्दगी की मुश्किल से घबराया चेहरा।
जिन्दगी के सफर के शाम के ईमान का चेहरा,
मैं जिंदगी के हर मुकाम का गवाह आईना!

कोई लाख बनाए चेहरा,लाख छुपाए चेहरा अपना,
खामोश जज्बे के चिलमन का चेहरा,अपना खामोश बयां असली-नकली चेहरा!

आईना कहता है दुनिया का क्या करुं,
हर कोई देखता मुझमें चेहरा,अपना चेहरा।

किसी के हुस्न के गुरुर का चेहरा,
किसी का दौलत के जुनून का चेहरा!
चाँद कहता है आईने तेरा भी क्या कहना,
छुपा देता है तू तमाम दाग चेहरा।
हसरत के हुस्न की हस्ती बना देता मेरे जैसा चेहरा,
कोई लाख बनाए चेहरा,अपना लाख छुपाए चेहरा अपना।

खामोश जज्बे की चिलमन में चेहरा,
अपना मेरा खामोश बयां असली-नकली चेहरा!

मैं नादां,नाज़ुक,कमसिन,बचपन की शरारत,
माँ-बाप के अरमां के जमीं-आसमान का आईना सूरज चाँद का चेहरा!

लाख टुकड़े आईने में एक ही चेहरा,
हर बिखरे टुकड़े में जज्बात का जुदा-जुदा चेहरा!

आईना कहता है मेरा दिल शीशे की तरह,
नाज़ुक साँसों की गर्मी से पिघल जाता।
साँसों,धड़कन,निगाहों की बेरुखी से टूट कर,
लाख टुकड़ों में बिखर जाता मैं आईना!

इश्क,मोहब्बत,जीनत की जन्नत
दिवानों की नज़रों के आईने का चेहरा।
मैं आईना,हर चेहरे में छुपे तमाम जज्बात का चेहरा,
कहता आईना मैं दुनिया के हर चेहरे का चश्मा चश्मदीद।

हर कोई मुझमें देखता अपना चेहरा,
अपना कोई भी,मेरा हो न सका अपना॥

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।
अनपढ़ औरत पढ़ ना सकी फिर भी,
दुनिया में जो कर सकती सब-कुछ।
जीवन के सत्य-सार्थकता की खातिर जीवन भर करती बहुत कुछ,
पर्यावरण स्वच्छ हो,प्रदूषण मुक्त हो जीवन अनमोल हो।
संकल्प यही लिए जीवन का,
हड्डियों की ताकत से लम्हा-लम्हा चल रही हूँ।
मेरी बूढ़ी हड्डियां चिल्ला-चीख कर्,
जहाँ में गूँज-अनुगूँज पैदा करने की कोशिश है कर रही,
बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ,स्वच्छ राष्ट्र, समाज,
सुखी मजबूत राष्ट्र,समाज॥

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