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‘तालाबंदी’ से बढ़े ‘दैहिक विकार’ के रोगी

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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दिन-रात ‘कोरोना’ के बारे में सुनने,देखने और पढ़ने के कारण कुछ लोग बेहद डरे हुए हैं और बार-बार कोरोना के बारे में ही सोच रहे हैं। उनके लक्षणों के बारे में जान रहे हैं। इससे शरीर और मन का संबंध टूट रहा है। यदि किसी व्यक्ति को किसी प्रकार का दर्द या अन्य कोई शिकायत होती है तो वे उसे कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। मौसम में बदलाव आता है तो हर साल सर्दी और गर्मी आने पर सर्दी-जुकाम के मरीज बढ़ते हैं। कोरोना भी ऐसे समय पर आया है। बुखार, सर्दी-जुकाम होने के कारण लोग घबराए हुए हैं। बार-बार अन्तरताने पर कोरोना के लक्षण जानना,उनके बारे में पढ़ना,तलाश करने के कारण एक दिमागी बीमारी भी हावी हो जाती है। छोटी-सी परेशानी भी कोरोना का लक्षण दिखाई देती है।
तालाबंदी के कारण आजकल मानसिक रोगों से संबंधित समस्याओं में वृद्धि हो रही है। इसके प्रमुख कारण हमारी बदलती हुई जीवन शैली है। रोज के काम से दूर दिन भर घर में आजाद बैठे कुछ लोग जो बीमार नहीं हैं,लेकिन मानसिक रूप से वे अपने-आपको कोरोना का मरीज समझने लगे हैं। ऐसे लोग न तो अपनी नींद पूरी कर पा रहे हैं,न ही किसी को बता पा रहे हैं। अस्पतालों और चिकित्सकों के पास आए दिन इस तरह के मामले आ रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य सर्दी-जुकाम, सीने में दर्द,सिर दर्द या खाँसी होने पर भी लोग भयभीत हो रहे हैं। वे हेल्पलाइन नम्बर या चिकित्सकों को फोन कर कोरोना की जांच कराने का कह रहे हैं। मनोचिकित्सकों ने इस बारे में बताया कि यह कोरोना नहीं है,बल्कि एक प्रकार का
दैहिक विकार(‘सोमेटिक डिसऑर्डर)है,यह एक मानसिक बीमारी है। यह किसी भी बीमारी को लेकर हो सकती है।
आज के समय में कुछ बीमारियाँ बहुत ही सामान्य बन चुकी हैं जैसे न्यून रक्तचाप,उच्च रक्तचाप,मधुमेह इत्यादि। हालाँकि,ये सभी शारीरिक समस्या हैं,पर ये मनावैज्ञानिक कारणों जैसे तनाव और चिंता से उत्पन्न होती हैं,जिन्हें साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर अर्थात मनोदैहिक विकार कहते हैं। इसके कारण मनोवैज्ञानिक होते हैं। इसके विपरीत सोमेटिक डिसऑर्डर अथार्त दैहिक विकार इंसान की दैहिक समस्याएं हैं। वे विकार हैं जिनके लक्षण शारीरिक हैं,परंतु इनके जीववैज्ञानिक कारण सामने नहीं आते हैं। जैसे,कोई व्यक्ति पेट दर्द की शिकायत कर रहा है,लेकिन व्यक्ति के पेट में कोई समस्या नहीं होती है। बस बार-बार पेट के बारे में सोचने,ज्यादा खाना खा लेने के बाद व्यक्ति को लगता है कि बस अब पेट दर्द होगा या हो रहा है। जैसे किसी को पहले से रक्तचाप की समस्या है। बदलते मौसम और फ्रिज में रखे ठंडे पदार्थ खाने से गले में खराश हुई और नमक की अधिकता से रक्त दाब भी असामान्य हो गया। रोग पुराना है,पर कोरोना का भय हावी है,तो इससे रक्तचाप और भी असामान्य हो जाएगा,तथा दिमाग सीधा कोरोना की तरफ ही जाएगा,लेकिन इसका कोरोना से कोई लेना-देना ही नहीं है।
चिकित्सकों की मानें तो अभी दैहिक विकार
के रोगियों की संख्या में २० से ३० फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य विभाग,पुलिस और ऐसे लोग जो मैदान में जुटे हैं,उनके अलावा जो लोग घरों में बंद हैं,उन्हें भी यह डर सता रहा है,कि कहीं वे कोरोना की गिरफ्त में तो नहीं आ गए। ये लोग बिना किसी विशेष कारण के डरे हुए हैं,भयभीत महसूस कर रहे हैं और परेशान हो रहे हैं।
मनोचिकित्सकों के अनुसार इससे बचने के लिए सुबह व्यायाम,ध्यान,योग करें या किताबें पढ़ें। घर के अंदर या कमरे में घूमें। घर से आफिस का काम कर रहे हैं तो कुछ अंतराल में आराम लेते रहें। शाम को भी जब भी समय मिले,हल्का व्यायाम करें,जिससे दिमाग दूसरी तरफ जाएगा। रोजाना गर्म पानी का सेवन करें,तथा संभव हो तो गिलोई,अदरक आदि रोग प्रतिरोधक औषधियों के काढ़े का सेवन करते रहें,जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। कोरोना पर खबरें पढ़ें,देखें लेकिन उसका समय निश्चित करें। परिवार के साथ समय बिताएं और सुरक्षा रखें।
कोरोना न होने के बावजूद भी लोगों को इसका डर है। इसलिए,उनकी रात की नींद भी पूरी नहीं हो रही है। लोगों को समझना होगा कि कोरोना के मरीज बहुत कम हैं,यदि खुद और परिवार की सुरक्षा रखी जाए तो इससे बचा जा सकता है। कोरोना प्रत्येक व्यक्ति को नहीं होता। किसी व्यक्ति की यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है तो उसे कोरोना नहीं हो सकता है। यदि हुआ भी है तो वह आसानी से निकल जाएगा और व्यक्ति को पता भी नहीं चलेगा। यदि आप तालाबंदी में हैं और किसी के संपर्क में नहीं आ रहे हैं तो आपको कोरोना नहीं हो सकता।

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