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तब तेरी याद बहुत आती है माँ

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष……….


जब मेरा मन उदास होता है,
कुछ समझ नहीं आता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

जब कोई बेवजह ही मुझपे बरस पड़ता है,
मन को अघात करता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

ज़िंदगी धूप से तप जाती है,
छाँव कहीं नज़र नहीं आती है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

तीखे बाण कोई चलाता है,
उंगली मुझपे उठाता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

झूठ का साम्राज्य बढ़ता है,
सच को सहना पड़ता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

दर्द मेरा बढ़ जाता है,
हौंसला कमजोर पड़ जाता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

दुःख के बादल छाते हैं,
आँसू आँखों से छलक जाते हैं…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

जी चाहे जितना,उतना रोते हैं,
अब खुद ही चुप होते हैं…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

दर्द अपना छुपाना पड़ता है,
हर हाल में मुस्कुराना पड़ता है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

जब भूख मुझे सताती है,
तेरे हाथों के खाने की खुशबू आती है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

हम सब-कुछ सहन कर जाते हैं,
बस तेरा प्यार कहीं नहीं पाते हैं…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

सबका प्यार एक दिखावा है,
तेरी जगह कोई नहीं ले पाया है…
तब तेरी याद बहुत आती है माँ…l

तू नज़रों से मेरी चाहे दूर है,
दिल के मेरे सबसे करीब है…
तब भी तेरी याद बहुत आती है माँ…l

तेरा आँचल खुशियों की फुलवारी है,
तेरे प्रेम की धारा सबसे न्यारी हैl
ऐसी अदभुत माँ हमारी है,
तेरी याद बहुत आती है माँ…ll

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। ११ मई १९८२ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश की वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्यनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्राकुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणा पुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।

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