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प्यारा बसन्त

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
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गीतों का मल्हार लिए,
फूलों का श्रंगार लिए।
खिल गए फूल अनन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

फूलों से खेत हो रहे हरे-भरे,
पक्षी गीत गा रहे भावना भरे।
नर-नारी और झूमे साधु-संत,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

नदियाँ फूलों से श्रृंगार करें,
धरा भी किरणों से मांग भरे।
गज भी मांजे अपने दन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

जीवन का हर पल नया होगा,
उत्साह और उमंग भरा होगा।
रंगों की बहार है चली अनन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

रातें भी अब सिकुड़ जाएंगी,
नव में नई ज्योति छा जाएगी।
तभी हो जाएगा सर्दी का अंत,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

गा रही कोयल मीठे गान,
भँवरे भी भर रहे हैं तान।
‘तूफानी’ सूंघ रहा है सुगंध,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥

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