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रखो राम हृदय में सारे

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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श्री मर्यादा पुरुषोत्तम राम,
सकल जगत के हैं सुखधाम
ध्यान धरो नित सुबहो-शाम,
बन जाते सब बिगड़े काम।

आज्ञाकारी मात-पिता के,
गुरु आज्ञा को सिर धर के
माँ कैकेई के वचन निभाने,
पहुँच गये सहर्ष वन धाम।

अवध छोड़ के वन को आये,
ऋषि-मुनि सब बेहद हर्षाए
हवन होय निर्बाध पूर्ण कस,
राक्षस का किया काम तमाम।

ऋषि गौतम के आश्रम आये,
शिला एक तँह प्रभु जी पाये
चरण स्पर्श प्रभु ने कीन्हा
जगत उद्धारक हैं श्री राम।

गुरु वर संग जनकपुर आये
राजा जनक सिया वर पाये
तोड़ शिव धनुष ब्याह रचाया,
राजा जनक हुए अभिराम।

रावण सिर को ले गया हर के,
पीड़ा आन पड़ी प्रभुवर पे
लेकर सुधि हनुमान जो‌ आये,
रावण पहुँचाया निज धाम।

हनुमत भक्त अलौकिक पाया,
राम प्रभु की रहती छाया
भक्ति किसको कहते हैं ये,
सीना चीर दिखलाया राम।

रखो राम हृदय में सारे,
संकट मिट जाएँगे प्यारे।
जब होगी जीवन की शाम,
हाथ धरेंगे जय श्री राम॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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