मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’
कोटा(राजस्थान)
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‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष……….
रजपूती घोड़ा है तू फिर बैठ गया क्यों थककर के,
जाना बहुत दूर है चेतक हम दोनों को चलकर के।
तेरा चलना मेरा बढ़ना घावों संग जरुरी है,
भाई ने अरिता पाली है लड़ना हमको मिलकर के।
तेरा तन तो जख्मी है पर मन मेरा भी जख्मी है,
पर जख्म भूल कर भी चेतक चलना हमको बच कर के।
शक्ति ने मुझसे घात किया,पर उसका मुझको कष्ट नहीं,
पर कष्ट सहन क्या होगा तेरा जाए जो बिछड़कर के।
आँखों के तेरे आँसू रे चेतक मुझे रुला देंगे,
पी लूँगा मेरी आँखों के पानी को तो हँसकर के।
क़र्ज़ अधूरा है मुझ पर मेवाड़ धरा का साथी रे,
पर क़र्ज़ कभी चुकता कैसे बिन तेरे हो रहकर के।
चल ना सकूँगा एक कदम मुझको स्वामी माफ़ी दे दो,
मेरी साँसें टूट रही हैं धड़क रही जो रुककर के।
मेरी चिंता छोड़ो राणा मुझको तो है अब जाना,
देखो बैरी आता होगा रहना तुमको बचकर के।
तुमने साथ निभाया चेतक भूलूँ सब अहसानों को,
छोड़ तड़पता तुम्हें यहां पर भागूं मैं जो डरकर के।
मेवाड़धणी विनती सुन लो ऋण माटी का बाकी है,
इकलिंग जी की सौंगंध तुम्हें लोहा लेना डटकर के।
साथ बीच में छोड़ रहा हूँ साँस नहीं अब बाकी है,
चेतक दुनिया से चला गया यूँ राणा को कहकर के।
निकला दम चेतक का जब हल्दी घाटी भी काँप गई,
छोड़ जान का भय राणा रोए बाँहों में भरकर के॥
परिचय–मधुसूदन गौतम का स्थाई बसेरा राजस्थान के कोटा में है। आपका साहित्यिक उपनाम-कलम घिसाई है। आपकी जन्म तारीख-२७ जुलाई १९६५ एवं जन्म स्थान-अटरू है। भाषा ज्ञान-हिंदी और अंग्रेजी का रखने वाले राजस्थानवासी श्री गौतम की शिक्षा-अधिस्नातक तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(राजकीय सेवा) है। कलम घिसाई की लेखन विधा-गीत,कविता, लेख,ग़ज़ल एवं हाइकू आदि है। साझा संग्रह-अधूरा मुक्तक,अधूरी ग़ज़ल, साहित्यायन आदि का प्रकाशन आपके खाते में दर्ज है। कुछ अंतरतानों पर भी रचनाएँ छ्पी हैं। फेसबुक और ऑनलाइन मंचों से आपको कुछ सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समय का साधनामयी उपयोग करना है। प्रेरणा पुंज-हालात हैं।