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शर्त

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ 
नागपुर(महाराष्ट्र)

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शर्मा जी और वर्मा जी,आपस में पड़ोसी थे। साथ खेले,साथ पढ़े। परिवार में सौहार्दपूर्ण संबंध थे। आना-जाना,खाना-पीना सभी कुछ।
वर्मा जी अपने मित्र,शर्मा जी से कहते हैं-“यार,आज का अखबार पढ़ा क्या ? तंबाकू,सिगरेट,शराब,खर्रा इनसे हजारों लोग तबाह हो रहे हैं। मर रहे हैं। फिर भी स्वास्थ्य के प्रति लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं। लोग बीमार होकर अपनी सेहत और पैसा डुबो रहे हैं।”
शर्मा जी वर्मा से-“सुन,यह दुनिया तो इसी तरह चल रही है और चलेगी ही। कम लोग होते हैं जो,अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाते हैं।”
बात आयी-गयी हो गयी। वर्मा जी के पुत्र का वैवाहिक कार्यक्रम था। वर्मा जी ने अपने पड़ोस में शर्मा जी के परिवार को भी आमंत्रित किया था। विवाह के कार्यक्रम में नाते-रिश्तेदार मित्र सभी मजे कर रहे थे और गीत-संगीत,नृत्य का आनंद ले रहे थे। शर्मा जी ने वर्मा जी की नातिन को देखकर कहा-“बिटिया हमने सुना है कि तुम,अच्छा नृत्य करती हो। हम सभी को अपनी पसंद के गाने पर नृत्य करके दिखाओ।”
यह सुनते ही बिटिया के परिवार वाले,सभी ने कहा-“हमें भी तुम्हारे नृत्य को देखना है। स्कूल की नृत्य प्रतियोगिता में,तुमने जो पहला पुरस्कार जीता था,वही नृत्य करो।”
बिटिया ने अपनी मम्मी की बात सुनकर कहा-“देखिए,शर्मा अंकल के साथ ही सभी कह रहे हैं। मैं एक अच्छा-सा नृत्य अभी करती हूँ,परंतु मेरी एक शर्त है। ”
शर्मा जी ने बिटिया से कहा-“मैं वादा करता हूँ कि,अगर तुम्हारा नृत्य सभी को पसंद आया और सभी ने खुश होकर, तालियां बजायी तो,तो मैं वही करूंगा जो तुम कहोगी।”
बिटिया ने अपने दादाजी से कहा-“बाबा,अंकल मेरी शर्त मानने को तैयार हो गये हैं। यह बात याद रखना आप।” और वह अपने दादाजी का आशीर्वाद लेकर मंच पर नृत्य करने चली गयी।
बिटिया ने नृत्य से सभी को खुश कर दिया था। सभी अपनी जगह खड़े होकर,करतल ध्वनि से तालियां बजाकर,अपनी प्रसन्नता जाहिर कर रहे थे।
बिटिया जैसे ही वापस आयी तो,सभी के सामने शर्मा जी ने उससे कहा-“बिटिया तुम्हारे नृत्य ने,सभी को प्रसन्न कर दिया है अब तुम अपनी शर्त बताओ,मैं पूरी करूँगा।”
बिटिया ने कहा-“अंकल,आपको दो हफ्ते पहले ही,दिल का दौरा पड़ा था। डॉक्टर ने आपको सिगरेट तुरंत छोड़ देने कहा था,परंतु अभी तक आपने सिगरेट नहीं छोड़ी है। आपको आज नहीं,अभी से सिगरेट,हमेशा के लिए छोड़नी है,यही मेरी शर्त है।”
अपनी सहमति देकर शर्मा जी,बिटिया को आशीर्वाद देने लगे और शर्मा जी का परिवार आँखों के ईशारे से बिटिया को धन्यवाद देने लगा।

परिचय-डाॅ. मधुकर राव लारोकर का साहित्यिक उपनाम-मधुर है। जन्म तारीख़ १२ जुलाई १९५४ एवं स्थान-दुर्ग (छत्तीसगढ़) है। आपका स्थायी व वर्तमान निवास नागपुर (महाराष्ट्र)है। हिन्दी,अंग्रेजी,मराठी सहित उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले डाॅ. लारोकर का कार्यक्षेत्र बैंक(वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त)रहा है। सामाजिक गतिविधि में आप लेखक और पत्रकार संगठन दिल्ली की बेंगलोर इकाई में उपाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-पद्य है। प्रकाशन के तहत आपके खाते में ‘पसीने की महक’ (काव्य संग्रह -१९९८) सहित ‘भारत के कलमकार’ (साझा काव्य संग्रह) एवं ‘काव्य चेतना’ (साझा काव्य संग्रह) है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में मुंबई से लिटरेरी कर्नल(२०१९) है। ब्लॉग पर भी सक्रियता दिखाने वाले ‘मधुर’ की विशेष उपलब्धि-१९७५ में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण(मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व) है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी की साहित्य सेवा है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद है। इनके लिए प्रेरणापुंज-विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन(नागपुर)और साहित्य संगम, (बेंगलोर)है। एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड.,आयुर्वेद रत्न और एल.एल.बी. शिक्षित डाॅ. मधुकर राव की विशेषज्ञता-हिन्दी निबंध की है। अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कार। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
“हिन्दी है काश्मीर से कन्याकुमारी,
तक कामकाज की भाषा।
धड़कन है भारतीयों की हिन्दी,
कब बनेगी संविधान की राष्ट्रभाषा॥”

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