वो सात दिन…

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* जब देखा वो लाल खून, खेलते हुए हो गयी सुन्न। उम्र तेरह की थी दहलीज, बचपन का पहना था ताबीज। अनजान थी,क्या है यह सात दिन ? समाज मानता है जिसे हीन। कोई कहता है छूना मत, इसके बहने से मिटता है सत। इसकी अशुद्धता है भ्रम अंधविश्वास में पहला … Read more

माँ का थाम लेना हाथ

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* पापा आपकी भी मुझमें जान बसती है, तो माँ अकेले क्यूँ रातों को जगती है! माँ-पापा एक होकर आप मेरा हर काम करना, माँ जब भरे बोतल आप नेपी मेरी बदलना। मेरे नाम के पीछे समाज माँ से पहले जोडे़गा आपका नाम, तो माँ अकेले क्यूँ! करती है सारे मेरे … Read more

लहराते तिरंगे ने…

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……… लहराते तिरंगे ने जितनी, उम्मीदों का बांधा संग है देश में आज उतना विरोधों, का छाया गहरा काला रंग हैl मेरा देश आज खुशी, से मना रहा गण का तंत्र है और मजहबी भेद-भाव, का आज भी पढ़ा जाता मंत्र हैl दस कक्षा पढ़ कर भी, … Read more

आँचलिकता से सराबोर है ‘अगहनियां’

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** जमशेदपुर निवासी शिवशंकर सिंह ने अपने इस कहानी संग्रह ‘अगहनियां’ में उत्तर भारतीय परिवेश के समस्त दृश्यों को शब्दांकित कर दिया है। वहां की ठेठ भाषा में रहन-सहन,रीति-रिवाज,मिथकों इत्यादि का चित्रण लेखक की कार्य कुशलता को प्रदर्शित करता है। प्रथम कहानी ‘अगहनियां’ में नायक और उसका वृक्ष प्रेम दर्शाया गया … Read more

`भावांजलि` उत्सव में हुआ कई पुस्तकों का विमोचन

नोएडा(दिल्ली) | १५ दिसम्बर २०१९ एक यादगार दिन रहा,जब नए-पुराने कई रचनाकारों का जमावाड़ा देखने लायक थाl हर किसी के चहरे की ख़ुशी देखते ही बनती थी ,और ऐसा मालूम देता था जैसे उसके घर के आँगन में कोई उत्सव होl `वर्तमान अंकुर` के मुख्य सम्पादक निर्मेश त्यागी ने स्वयं सभी अतिथियों का स्वागत-सत्कार किया,जहाँ … Read more

शिक्षा देती संस्कार

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) *********************************************– युवा आएंगे जब, शिक्षा के करीब तब एक नहीं…सात, पीढ़ी का बनेगा नसीबl कोई युवती उसे नहीं, लगेगी वस्तु और माल कहावत में भी नारी को, नहीं बोलेगा `मुर्गी` और `दालl` शिक्षा देगी संस्कारों, से भरी हुई तमीज बुढ़ापे में पापा को देगा, बेटा़ प्यार से एक कमीजl शिक्षा देती … Read more

एकता दिवस

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* लौह पुरुष जी आपके ईरादे कितने थे नेक, अब क्रिकेट मैच के दिन हिन्दू-मुस्लिम होते हैं एक। धारा-३७० हटने पर मचाया था इतना बवाल, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठते हैं हमारी एकता पर सवाल। लौह पुरुष होते तो कश्मीर में नहीं होती कोई शहादत, नहीं लहराता कोई कश्मीर में झंडा-ए-बगावत। जितना … Read more

काश मैं मोबाइल होती!

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* काश मैं महंगे वाला प्यारा-सा मोबाइल होती, उनकी बाँहों में उनके तकिये के पास सोती। उनकी खाने की थाली के पास हमेशा रहती, उनकी उंगली के और अंगूठे संग हमेशा बहती। बहाने बनाकर आप मुझे रखते करीब, काश! मोबाइल बनना होता मेरा प्यारा नसीब। जब भी मेरी बजती वो प्यारी-प्यारी … Read more

बंद करो ‘बिग बॉस’

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* खुले बदन की नारी, लगने लगी इन्हें कंचन। जबसे आया है ‘बिग बॉस’ सा मेरे देश में मनोरंजन। बिन सात फेरों के साथ में सोने का यह देते काम। क्या इस देश में हुए माँ, सीता और मर्यादा वाले राम। मनोरंजन के नाम पर परोस रहे है यह हवस। नेता … Read more

कलियुग का महाकाव्य `ब्रह्म कल्प देवायण`

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** अपने गुरु अरविंद के आश्रम में मृत्यु पर्यंत रहने वाले डॉ. हजारी द्वारा रचित पुस्तक देवायण को यदि महाग्रंथ कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी,क्योंकि यह पुस्तक वृहत्तम खंडों में लिखी गई है। कुल मिलाकर इसमें १२ खंड है,जिसमें ३६ पुस्तकें हैं। यह भारतीय शास्त्रीय महाकाव्य मीटर अनुष्टुभ छंद में … Read more