‘ये शब्द गीत मेरे’ आमजन की जिजीविषा के स्वर
सुरेंद्र कुमार अरोड़ाग़ज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश) ************************************** मनुष्य ने शब्दों का संसार भले ही स्वयं रचा है,परन्तु शब्दों के रचना-विन्यास की अनुभूति और अभिव्यक्ति की सामर्थ्य तो उसे उस अदृश्य शक्ति ने दी है,जिसे हम ईश्वर के रूप में सम्बोधित करते हैं। शब्दों के माध्यम से मस्तिष्क में उठ रहे उदवेदनों या फिर उद्बोधनों की रचना या सामर्थ्य ईश्वर … Read more