होली निहारूँ बाट
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… गीता छंद विधान:२६ मात्रा(२२१२ २२१२ २२१२ २२१)१४,१२ पर यति,२ पद समतुकांत) होली मचे फागुन रमें,फसलें रहे आबाद।पंछी पिया कलरव करे,उड़ते फिरे आजाद। मैं तो हुई बेचैन हूँ,मिलने तुम्हें पिव आज।आओ प्रिये फागुन चला,अब तो सँवारो काज। फसलें पकी हैं झूमती,मिल के करें खलिहान।सखियाँ सभी है खेलती,बिगड़े हमारी … Read more