होली निहारूँ बाट

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… गीता छंद विधान:२६ मात्रा(२२१२ २२१२ २२१२ २२१)१४,१२ पर यति,२ पद समतुकांत) होली मचे फागुन रमें,फसलें रहे आबाद।पंछी पिया कलरव करे,उड़ते फिरे आजाद। मैं तो हुई बेचैन हूँ,मिलने तुम्हें पिव आज।आओ प्रिये फागुन चला,अब तो सँवारो काज। फसलें पकी हैं झूमती,मिल के करें खलिहान।सखियाँ सभी है खेलती,बिगड़े हमारी … Read more

परिवर्तन

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण( ८८८८) प्रतिचरण चार चरण समतुकांत,आंतरिक समान्तता अपेक्षित,चरणांत लघु-लघु ११ हे श्याम वर्ण के घननर्मद सा हो ये मन,पत्थर शिव जीवनवसुधा पर सावन। सागर जैसा हो धनविहगों जैसा जीवन,यमुना-सी बंशी धुनगंगा-सा जल पावन। हे राधा तेरा नर्तनमेघों के जैसा गर्जन,हो युग परिवर्तनमाधव मन भावन। मीरा के पद गायनभारत माता के जन,पायलियों … Read more

नीर जरूर बचाएँ

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३२वर्ण (८८८८) प्रतिचरण,१६,१६ वर्ण पर यति चार चरण समतुकांत,चलणांत २२ गुरु गुरु)वर्षा का नीर सहेजेंसंदेश सभी को भेजें,पुनर्भरण कर लोव्यर्थ न नीर बहाएँ। पेड़ लगाओ सब हीमेड़ बनाओ तब ही,खेत-खेत जल कुंडेघर भी कुंड बनाएँ। कूप बावड़ी पोखरभरे नीर वर्षा पर,हर पथ कुण्ड बना,बूंद-बूंद जल लाएँ। बाग-बगीची घर कीअपनी हो या पर … Read more

भारती वंदन

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३२ वर्ण (८८८८) प्रतिचरण १६,१६ वर्ण पर यति,४ चरण समतुकांत चरणांत गुरु लघु) मात भारती वंदनमाटी तेरी है चंदन,जन्मे जो रघुनंदनआँचल में भगवान। मान देश का रखतेशान तिरंगा रखते,प्राण देह दे सकतेसपने शुभ अरमान। लिखते छंद ज्ञान केदेश धरा ईमान के,सत्ता देश विधान केगाते जन गुणगान। अरि को नष्ट करेंगेंसब आतंक मिटेंगे,रंग … Read more

नीर बहे…

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण प्रति चरण (८८८८) १६,१६ पर यति,४ चरण समतुकांत चरणांत लघु गुरु,या लघु लघु मेघ घटा जल वर्षाखेत खेत है सरसाबाग पेड़ सर हर्षारोक जन नीर बहे। नीर भावि जन शक्तिउठो धीर मति व्यक्तिवारि से हो अनुरक्तिव्यर्थ यह नीर बहे। जल कुंड बना घररख मेड़ बनाकरकूप बापी बेरे भरचेत नर नीर … Read more

होली

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प-८,८, ८,७ वर्ण, संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है।कुल ३१ वर्ण-१६,१५, पर यति हो,( , )पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद सम तुकांत हो,चार पदों का एक छंद कहलाता है।)रूप रंग वेष भूषा,भिन्न राज्य और भाषा,देश हित वीर वर,बोल भिन्न बोलियाँ। सीमा पर रंग सजे,युद्ध जैसे शंख बजे,ढूँढ-ढूँढ दुष्ट मारे,सैनिकों की टोलियाँ। … Read more

हल्दी घाटी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. सदी सोल्हवीं मुगल काल में, अकबर का भारत पर राज। झुके बहुत राजे रजवाड़े, माना मुगल राज सरताजll आन मान मेवाड़ धरा का, गढ़ चित्तौड़ अनोखी शान। उदय सिंह मर्यादा पाले, बप्पा रावल वंश महानll स्वाभिमान मेवाड़ी अखरा, कुपित हुआ अकबर सुल्तान। पन्द्रह सौ अड़सठ … Read more

प्यासा पंछी,उड़ता मन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* यह,मन प्यासा,पंछी मेरा, नील गगन उड़ करे बसेरा। पल में देश विदेशों विचरण, कभी रुष्ट,पल में अभिनंदन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में अवध,परिक्रम करता, सरयू जल अंजुलि में भरता। पल में चित्रकूट जा पहुँचे, अनुसुइया के आश्रम पावन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में शबरी आश्रम जाए, बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए। किष्किन्धा … Read more

हारा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हारा- हारा जो हिम्मत नहीं,जीता उसने युद्ध। त्याग तपस्या साथ ही,बने धैर्य से बुद्ध। बने धैर्य से बुद्ध,तथागत जन दुखहारी। किया प्राप्त बुद्धत्व,जीत कर भाव विकारी। शर्मा बाबू लाल,हार मत,मिले किनारा। पढ़ो विगत संघर्ष,धीर जन कभी न हारा। नारी- नारी है सबला सदा,मानो सत्य सुजान। जीवन दाता सृष्टि में,नारी अरु भगवान। … Read more

जीवन है अनमोल

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दुर्लभ मानव देह जन,सुनते कहते बोल। मानवता हित ‘विज्ञ’ हो,जीवन है अनमोल॥ धरा जीव मय मात्र ग्रह,पढ़े यही भूगोल। सीख ‘विज्ञ’ विज्ञान लो,जीवन है अनमोल॥ मानव में क्षमता बहुत,हिय दृग देखो खोल। व्यर्थ ‘विज्ञ’ खोएँ नहीं,जीवन है अनमोल॥ मस्तक ‘विज्ञ’ विचित्र है,नर निजमोल सतोल। खोल अनोखे ज्ञान पट,जीवन है अनमोल॥ ‘विज्ञ’ … Read more