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प्यासा पंछी,उड़ता मन

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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यह,मन प्यासा,पंछी मेरा,
नील गगन उड़ करे बसेरा।
पल में देश विदेशों विचरण,
कभी रुष्ट,पल में अभिनंदन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

पल में अवध,परिक्रम करता,
सरयू जल अंजुलि में भरता।
पल में चित्रकूट जा पहुँचे,
अनुसुइया के आश्रम पावन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

पल में शबरी आश्रम जाए,
बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए।
किष्किन्धा हनुमत से मिलकर,
कपि संगत वह करे जतन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

पल में सागर तट पर जाकर,
रामेश्वर के दर्शन पा कर।
पल में लंक,अशोक वाटिका,
मिलन विभीषण,पहुँच सदन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

पल में हनुमत के संग जाता,
संजीवन बूटी ले आता।
मन पल में हीें रक्ष संहारे,
पुष्पक बैठ अवध आगमन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

राजतिलक और रामराज्य के,
सपने देखे कभी सुराज्य के।
मन पागल या निशा बावरी,
भटके मन ,घर सोया तन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

मैं सोचूं सपनों की बातें,
मन की सुन्दर,काली रातें।
सपने में तन सोया लेकिन,
रामायण पढ़ करे मनन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

मेरे मत मन,तन से अच्छा,
प्रेम-प्रीत की रीत में सच्चा।
प्रेमी,बैरी,कुटिल,पूज्यवर,
सबके मन को करे नमन।
प्यासा पंछी,उड़ता मन॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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