उम्मीदों का गणतंत्र और झांकियों तक फैलता सियासत का जहर…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** बीते साल की एक ‘उपलब्धि’ यह भी मान लें कि देश में सियासत का जहर अब झांकियों तक फैल गया है। इस बार २६ जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड में ३ राज्यों की झांकियों को खारिज करने का मामला राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। ये झांकियां किन कारणों से खारिज … Read more

नए जमाने की सबसे ‘कड़ी’ सजा `इंटरनेटबंदी`

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** इक्कीसवीं सदी की नई सजाओं में एक `इंटरनेटबंदी` भी है। चाहे सुरक्षा कारणों से हो या पूरे समाज को ‘कायदे’ में रखने के लिए हो,हमारे देश में आजकल सरकारें सबसे पहले इंटरनेट बंद करती हैं। दो दिन पहले जब करगिल में १४५ दिनों बाद इंटरनेट सेवाएं फिर जिंदा हुईं,तो वहां के … Read more

क्या ‘राम मंदिर’ की सियासी कमाई ‘एनआरसी’ में गंवा रही भाजपा ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** क्या राम मंदिर से कमाई राजनीतिक जमीन भाजपा एनआरसी और सीएए में गंवा रही है ? क्या राष्ट्रीय मुद्दों का रथ राज्यों की सियासी जमीन पर पंक्चर हो रहा है ? क्या राज्यों में हो रही लगातार हार से भाजपा कोई सबक नहीं ले रही है”? संकल्पशक्ति और हठवादिता में बुनियादी … Read more

अब ‘राशन एकीकरण’ की तैयारी,क्या हाजमा भी एक होगा ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ के बहाने ‘राष्ट्रीय एकीकरण अभियान’ के तहत केन्द्र की मोदी सरकार की सूची में अगला क्रम अब राशन कार्ड का है। इसे सरकार ने ‘एक राष्ट्र,एक राशन कार्ड’ नाम दिया है। इसका मानक प्रारूप हाल में राज्यों को जारी करके कहा गया है कि,वे राशन कार्ड के … Read more

राहुल गाँधी:दिवाली पर होली के गीत गाने का क्या मतलब?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** मोदी २.० कार्यकाल में दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की पहली प्रभावी विरोध रैली ‘भारत बचाओ’ से ‘सावरकर हटाओ बनाम सावरकर बचाओ’ में कैसे और क्यों तब्दील हो गई,यह राजनीतिशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए रोचक विश्लेषण का विषय है। यह रैली देश में बढ़ती महंगाई,दम तोड़ती अर्थव्यवस्था,भारी बेरोजगारी जैसे जमीनी मुद्दों को … Read more

‘पानीपत’ विवाद:इतिहास को जज्बात के आईने में देखने के मायने ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** बॉलीवुड में इतिहास पर आधारित फिल्में बनाना,ऐतिहासिक तथ्‍यों को अपने‍ हिसाब से संजोना,बदलना,ऐसी फिल्मों को लेकर बवाल मचना और इन सबके चलते फिल्म का अच्छी-खासी कमाई कर जाना नई बात नहीं है। एक अर्थ में यह भी हिंदी फिल्मों का आजमाया हुआ फार्मूला है। केवल फिल्मों के नाम बदल जाते हैं,प्रवृत्ति … Read more

देश में फाँसी की बढ़ती मांग और जल्लादों का टोटा…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** यह भी विडंबना है कि जहां एक तरफ हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी नराधमों को फाँसी की सजा देने की मांग देश भर में उठ रही(थी),वहीं कानून जिन्हें मौत की सजा दे चुका है,उन्हें फाँसी के फंदे पर लटकाने के लिए जल्लाद नहीं मिल रहे। ७ साल पहले हुए `निर्भया` कांड … Read more

पुलिस प्राथमिकी की यह ‘जंगलगी’ भाषा तो बदलें…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** “डीओ साहिब, मजरूब गंगेश जेरे इलाज मिला,जिससे पूछताछ अमल में लाई,जिसने अपना बयान दर्ज कराया वो बाला हालात से मुलाहजा एमएलसी से सरेदस्त सूरत जुर्म दफा ३०७ का सरजद होना पाया जाता है। लिहाजा तहरीर हजा बगर्ज कायमी मुकदमा दर्ज करके इत्तिला दी जावे।” (अर्थ:डीओ साहब,गंगेश नामक व्यक्ति ने अपनी शिकायत … Read more

महाराष्ट्र:सत्ता के लिए ‘अनैतिक सौदेबाजी’ और शर्मिंदा घोड़े…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** महाराष्ट्र में घोड़ों की कोई स्थानीय नस्ल नहीं पाई जाती,लेकिन राज्य में घोड़ा बाजार के नाम पर सत्ता की छीना-झपटी का जो खेल खेला जा रहा है,उससे सबसे ज्यादा शर्मिंदा अगर कोई है तो वो घोड़े हैं। घोड़े हजारों साल से मनुष्य की सेवा करते आ रहे हैं,लेकिन मानवीय दुर्गुणों और … Read more

‘चुनावी गुप्तदान’ में छिपे पारदर्शी सवाल….

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक दलों की चंदा उगाही में पारदर्शिता लाने के नाम पर मोदी सरकार द्वारा पिछले साल जारी चुनावी (इलेक्टोरल बांड)अनुबंध को लेकर संसद के दोनों सदनों में सियासी बवाल मचा है। कारण पारदर्शिता के नाम पर इसकी अपारदर्शिता,चंदा कौन दे रहा है,कैसे दे रहा है,यह बताने की जरूरत नहीं। बैंकों से … Read more