घूंघट लतिका खोल रही
छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** मधुमय मुग्धा अब देख रही। लो घूंघट लतिका खोल रही॥ नव भ्रमर कंठ संगीत भरा, कोलाहल कलरव नेह धरा। अवगुंठन रस से प्राण घिरा, मृदु मुग्ध कली में प्रेम गिरा। अविरल निर्झरिणी नेह यही, लो घूंघट लतिका खोल रही॥ मधु नृत्य मगन मधुमास अहा, नव गंध भरा … Read more