गाँव जा रहा गाँव

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** रेल की पटरी पर चलते नंगे पाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है गाँव पसीने में लथपथ धूल भरी रोटी, भूख बड़ी गठरी पड़ी छोटी चिलचिलाती धूप में चलते, चाह कर भी आराम ना करते खोजता फिरे इंसानियत की छाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है … Read more

मजदूर की रोटी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** अपनी व्यथा कहूँ मैं किससे,उमर हो गई छोटी, सारी दुनिया बंद पड़ी है,कैसे चलेगी रोज़ी-रोटी। रीढ़ की हड्डी हम हैं लेकिन,लगता है यह टूटेगी, रोज़ी-रोटी के अभाव में,काया यहीं पे छूटेगी। फैली महामारी धरा पर,रैना बड़ी भोर है छोटी, मैं मजदूर सड़क पर बैठा,खोजता रहता रोज़ी-रोटी। समय का मारा मैं … Read more

यही है इंसानियत

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** आदि मानव से मानव हुए,मानव से इंसान, सुकर्मों से यश मिले,नर हो समान भगवान। अनजाने कोई मदद माँगे तो,पहचानो उसकी नीयत, वास्तव में हो लाचार तो,मदद करो यही है इंसानियत। हरदम बड़ों का आदर करो,बढ़ा लो अपनी हैसियत, द्वार से कोई भूखा ना जाए,भरे पेट यही है इंसानियतl सत्य मार्ग … Read more

रख लो अब लाज हमारी

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** हे ईश्वर! मानव का अपमान हो रहा , देवत्व आपका कहाँ सो रहा हे ईश्वर अब भक्त तुम्हारे, जा रहे बेमौत ही मारे। गलती की सजा तो है स्वीकार, पर अब तो मचा है हाहाकार इस महामारी से तो अब तक, जीवन से हाथ धो दिए कई हजार। किसी एक … Read more

‘कोरोना’ भगाएंगे

गुलाबचंद एन.पटेल गांधीनगर(गुजरात) ************************************************************************ नहीं सोचा था ऎसा समय भी आएगा, प्रधानमंत्री जनता कर्फ्यू लाएंगे। ‘कोरोना’ भगाएंगे… मीडिया के माध्यम से देश को जगाएंगे, भारत देश की सारी आबादी बचाएंगे। कोरोना भगाएंगे… साबुन लिक्विड से हाथों को नहलाएंगे, निश्चित रूप से कोविड उन्नीस को हराएंगे। कोरोना भगाएंगे… किसी जगह पर न हम थूकेंगे, स्वच्छता का … Read more

प्रकृति का परिवार

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. यह तो बहुत ही अच्छी बात है कि हम भी प्रकृति के परिवार के सदस्यों में से एक हैं। प्रकृति का परिवार बहुत ही बड़ा है। इसकी कोई सीमा नहीं है। इस धरती पर चल-अचल, सजीव-निर्जीव,दृश्य या अदृश्य रूप में जो कुछ भी है,वह सभी … Read more

प्रकृति से मित्रता के रिश्ते को समझना होगा,बचाना होगा

गुलाबचंद एन.पटेल गांधीनगर(गुजरात) ************************************************************************ मानव जीवन में कुछ लोग जीवन यात्रा को आनंदमयी यात्रा मानते हैं,जबकि कुछ लोग दुखद मानते हैं। वे जरा-सा भी संकट आए तो दुखी हो जाते हैं। इंसान को हर पल चलते रहना चाहिए। मानवीय जीवन के साथ प्रकृति जुड़ी हुई है। प्रकृति से ही मानव का जीवन चलता है। हवा,पानी,अन्न … Read more

सपने में आया `कोरोना`

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सोया था मैं अपनी उमंग में, बच्चे भी थे हमारे संग में नींद में था मैं गहरी तभी, सपने में आया `कोरोनाl` उसे देख मैं हैरान हो गया, तब उसने कहा-मुझसे डरो ना अच्छी है संस्कृति तुम्हारी, हाथ जोड़ते सब बारी-बारीl तुम भी वही करो ना, मुझसे डरो नाll मुस्करा … Read more

अब तो बस करो ना `कोरोना`

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** `कोरोना`,अब तो बस करो ना, कोरोना,अब तो बस करो ना दुनिया तड़पे जीवन खातिर, तुम अब तो ठंडा पड़ो ना कोरोना,अब तो बस करो ना…। चीनी खाते चूहा और साँप, दुनिया करती है बाप रे बाप तुम हम पर तो दया करो ना, कोरोना,अब तो बस करो ना…। जीवन है … Read more

मंदिर से लेकर युद्ध तक रानी का शौर्य आज भी जीवन्त

गुलाबचंद एन.पटेल गांधीनगर(गुजरात) ************************************************************************ इमेजीन ग्रुप ऑफ कंपनीज़(झाँसी) की ओर से `राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन` में उपस्थित रहने का निमंत्रण प्राप्त हुआ। २२ फरवरी २०२० को होटल एमबीन्स में सम्मेलन था,जिसमें देशभर से साहित्यकार उपस्थित थे। उस सम्मेलन में ‘मीडिया का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव` विषय पर आलेख और `तुम बिन सूनी गलियां` कविता प्रस्तुत … Read more