शहादत की फसल

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जाने कितनी शहादत ने बोए घाटी में बीज, सत्तर साल से खून से सींच पत्थर गए पसीज फिर से लाली आई है भारत माँ के चेहरे पर, फिर से लगी मणि ज्यों भारत दूल्हे के सेहरे पर। कितनी विधवाओं को मानो सिंदूर मिला है, पुत्रहीन माताओं की गोद शिशु … Read more

फ्रेंड रिक्वेस्ट

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कुछ मित्र आपस में बैठ कर बातें कर रहे थे। बात मित्रता पर हो रही थी,पहले मित्र ने कहा,-“भई, मैं तो जब किसी से काम निकालना होता है तो बस मित्रता गांठ लेता हूँ।” दूसरे ने कहा,-“ओह!ऐसा। मैं तो लोगों का स्टेटस देखकर ही मित्रता करता हूँ।” तीसरे ने कहा,-“हम तो … Read more

आधुनिक जीवन में प्रेम का महत्व

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जो अन्तर जड़ और चेतन में है,वही फर्क प्रेम और प्रेमविहीनता में है। प्रेमरहित मानव पाषाण तुल्य है। एक बात और..प्रेम तो पाषाण को भी प्राणवान बना देता है। कई बार पहाड़ों पर बनी पत्थरों की आकृति जो उभरती है तो लगता है कि पत्थर भी मुहब्बत करते हैं। … Read more

खतरा

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** दोनों बहनें शहर में खिलौने बेचकर लौट रही थीं। दिसम्बर की साँझ ढलने वाली थी। दोनों बहन एक-दूसरे का हाथ पकड़े तेज गति से चल रही थीं। बीमार पिता की जगह कुछ दिनों से वे दोनों बहनें खिलौना बेचने शहर आ रहीं थीं। आज बाजार में उनको कुछ देर हो गई। … Read more

उम्मीद

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** आज फिर सोमेश बाबूजी डाक घर के सामने उदास बैठे दिखे। डाक बाबू ने उन्हें अंदर बुलाया और कहा,-“बाबूजी,आप दो बरस से डाकघर बिना नागा किये आ रहे हैं। आखिर वो कौन- सी चिट्ठी है,जिसका आपको आने का इंतजार है ?आप रोज चार किलोमीटर पैदल चलकर डाकघर आते हैं और थककर … Read more

शहर

सुरेश चन्द्र सर्वहारा कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** लगी हुई है शहर में,जैसे कोई आग। ले प्रातः से रात तक,रहा आदमी भाग॥ ढूँढ रहा है शहर में,आकर क्यों तू प्यार। सम्बन्धों का है यहाँ,पैसा ही आधार॥ शहर बात उससे करे,हो जिससे कुछ काम। बिना स्वार्थ सम्बन्ध का,यहाँ नहीं है नाम॥ शहरों के ऊँचे भवन,पत्थर दिल के लोग। है … Read more

मैं स्त्री हूँ,पुरुष नहीं बनना

डॉ.शैल चन्द्रा धमतरी(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** मैं स्त्री हूँ नदी की तरह बहती हूँ, मुझे सागर नहीं बनना। मैं महीन रेत की कण, जो करती नीड़ का निर्माण मुझे चट्टान नहीं बनना। मैं हरी-भरी सुन्दर धरती, जो पालती पूरा विश्व मुझे शून्य आसमान नहीं बनना। मैं हूँ सीता,द्रोपदी,अहिल्या जिनका किया तिरस्कार, ऐसे राम,पांडव,गौतम… मुझे नहीं बनना। मैं … Read more

इच्छा शक्ति से हर कार्य सम्भव

राज कुमार चंद्रा ‘राज’ जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़) *************************************************************************** दुनिया में सबसे अधिक कोई बलवान है तो वो है इच्छाशक्ति,दुनिया की हर चीज इसके माध्यम से तुम्हें मिल सकती है। चाह होगी तो राह अपने-आप मिल जाएगी। वो हर चीज तुम्हें प्राप्त होती है जो तुम्हारे लिए जुनून बन जाती है। स्वामी विवेकानंद जी कहते थे कि … Read more

आस्था का केन्द्र गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* हमारे देश भारत में धर्म और आस्था का सदा ही वर्चस्व रहा है। यहां कण-कण में ईश्वर की अनुभूति की जाती है। यहां पर जब भी मानव जाति को महासंकट ने घेरा,तो कोई न कोई देवात्मा अवतरित हुई और धर्म की स्थापना की। देवताओं की पावन भूमि भारत में … Read more

दीर्घायु

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** मिल जाए आशीष हमें, दीर्घायु बन जाएं जीवनभर परोपकार कर, लोगों के काम आएं। हृदय,अंतर्मन पुनीत कर, द्वेष का परित्याग करें छल,कपट को छोड़ नित, स्नेह की बौछार करें। जग में सारे अपने हैं, अपनों से पहचान मिले मंजिल कितनी भी पा जाएं, कभी न हम गुमान करें। कर्म से श्रेष्ठता … Read more