तुरपाई

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** तीन बच्चों की माँ चन्दादेवी सुबह से देर रात तक कपड़े की सिलाई कर बमुश्किल दो जून की रोटी कमाती। सुन्नू,काकू और अन्नू यही कुछ नाम…

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मैं धरा

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** एक लंबे समय से मैं धरा तुम सब जीव-जंतु,प्रकृति,पर्यावरण को अपने में समाहित किए मजे से जी रही हूँ। प्यारे-प्यारे मनुष्य,सुंदर फल-फूल,कल-कल संगीत सुनाती नदियां,विशाल पठार…

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सावन-सा त्यौहार

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… सूख रही है धरा, सूख रहा है पानी, आँखों काl धरती बनती, मरू ये कैसा रूप, जवानी काl सूखा तन, तपता…

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शेरसिंह राणा की शौर्य गाथा

मंगल प्रताप चौहान सोनभद्र(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** क्षत्रियों पर संकट जब आन पड़ा, तब हिन्द ने रुड़की में ऐसा शेर जना। तिहाड़ भी जिसको रोक न सका, अफगानिस्तान भी न कर…

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तृप्ति

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** कालू,भूरू,और गोरिया यथा नाम तथा गुण के साथ रंग-रूप से भी मेल खाते,तीन दोस्त... तीनों कल रतलाम वाले बाबूजी की शवयात्रा में न्यौछावर की गई चिल्लर…

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अहसास

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** मुर्गी के दड़बे में फड़फड़ाती मुर्गियां अंतिम साँसों को गिन रही थी। बेजुबाँ,कभी कसाई के छुरे को,खून के छींटों को,तो कभी दम तोड़ती, खाल उधड़ती मुर्गियों…

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नसीहत

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… सरला,महज २० साल की है..पारिवारिक जिम्मेदारियों ने कागज-कलम के स्थान पर झाड़ू पकड़ा दी। चार-पाँच जगह काम करके गुजर-बसर होता है…

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संवेदनाओं की महक और प्रहार भी है ‘धूप आँगन की’

विजयसिंह चौहान इन्दौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** 'धूप आँगन की' सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है,जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाओं के फूलों की गंध को एकसाथ महसूस करके आनन्द लिया…

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