हिंदुस्तान की आँखों के तारे

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष………. हे भारत के अनमोल रत्न हिंदुस्तान के राजदुलारे,हे धरतीपुत्र,हे हिंदुस्तान की आँखों के तारे। याद आपकी जब आती, छलक जाते आँसू हमारे,क्या कहूं कैसे कहूं,कैसे मैं लिखूं गुण तुम्हारे। हे भारत के राजदुलारे,हे भारत की आँखों के तारे,नहीं था मन में भेदभाव सद्भावना … Read more

वो नहीं मिला…

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अब मैं हार गई हूँ चलते-चलते,उसे ढूंढ नहीं पाई चलते-चलतेl जिधर देखती हूँ उधर रेत ही रेत है,गया किस राह,कुछ नहीं संकेत हैl दिल मेरा,चिराग जैसा रहा जलते,थक गई हूँ मैं,अब उसे ढूंढते-ढूंढतेl मैं बेचारी,लजाती रही सदा उससे,खफा रहता,ना जाने क्यों मुझसेl चलता था सदा पीछे-पीछे तन कर,छोड़ा साथ जो देखा … Read more

देवत्व ही जीवन का सर्वोत्तम वरदान

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* असुरों से सभी घृणा करते हैं,क्योंकि उनकी भावनाओं में स्वार्थपरकता और भोग लालसा,इतनी प्रबल होती है कि वे इसके लिए दूसरों के अधिकार सुख और सुविधाएं छीन लेने में कुछ भी संकोच नहीं करते। उनके पास रहने वाले भी दुखी रहते हैं और व्यक्तिगत बुराइयों के कारण उनका निज़ जीवन तो … Read more

तुम चाँदनी रात हो सजनी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* काली बदली से प्रिय केश तुम्हारे,देख अंधेरी रातें भी शर्मातीं हैं…नयन तुम्हारे सागर से गहरे,मानों पलकें करती हैं पहरेl होंठ तुम्हारे बहुत ही है प्यारे,लगता जैसे फूलों की क्यारी…खिलखिलाते फूलों के जैसा,शायद किसी का हो मुख ऐसाl तुम चाँदनी रात हो सजनी,साजन को यूँ लुभाती हो…सौंदर्य तो तुम्हारा कहो,क्या-कैसे बखान करूं,कम … Read more

गुलमोहर के फूल

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* गुलमोहर के फूलों जैसे,मैं खिली रहती थी,कोई मकसद नहीं था हँसने का,फिर भी हँसती रही।मेरे नैनों की डगर से तुम एक रोज गुजर रहे थे,मैं बोली भी नहीं थी और तुम ठहर गए थे।किया था तूने वादा मैं प्यार निभाऊंगा,सारी रात राह ताकती रही,कब आओगे सोचती रही।गीत मिलन का हर पल … Read more

सैनिक,तुम हमारे बेटे हो

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मैंने तुझको दु:ख दर्द सह कर जन्म दिया,पिता ने तुझको पाल-पोस कर बड़ा किया।तुम अपने जन्मदाता माँ की आँखों की ज्योति हो,अपने वृद्ध पिता के अनमोल रतन-सा मोती हो।भारत माता की रक्षा कर मेरे दूध का कर्ज चुका देना,बनाई हूँ मैं तुझको सैनिक,बाधाओं से टकरा जाना।तुम भाई के रक्षक हो,तुम उसी … Read more

खत श्याम के नाम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* लिखा है खत तुझे मैंने श्याम तेरे नाम से,लेकर जाना हे हवाओं कहना श्याम से।कब तक मैं लुटती रहूंगी,कब तक दु:ख सहती रहूंगी,दहेज चलन की अग्नि में कब तक मैं जलती रहूंगी।आकर जान बचा लो श्याम,विनती मेरी सुन लो श्याम…॥ सासरे में भी मारी जाती,गर्भ में भी मारी जाती,नारी ही क्यों … Read more

अब तो लौट आओ साजन

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अब तो लौट आओ साजन,मैं कब से तेरी बाट जोहतीदोनों ने मिलकर ही रिश्ता,सजाया था प्यार का।जन्म-जन्म का बंधन,पवित्रता का मेल हैतेरे-मेरे बीच प्रेम,नेह ये अनमोल है।जब देखूं बगिया की हर डाली,मुरझाई-सी दिखे,नहीं मालीमैं भी मुरझाई-सी,तेरी राह शाम-सुबह ताकती।तेरे बिना हाल न कोई जाने,दिल की बात मेरी तू ही जानेहर पल … Read more

गुरु वंदना

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* एक तुम्हीं आधार सद्गुरु,एक तुम्हीं आधार…।जब तक मिलो ना तुम जीवन में,शांति कहां मिल सकती मन मेंखोज फिरा संसार सदगुरु,एक तुम्हीं आधार…। कैसा भी हो तैरन हारा,मिले ना जब तक शरण सहाराहो न सका उस पार सद्गुरु,एक तुम्हीं आधार…। हे प्रभु तुम ही विविध रूपों में,हमें बचाते भव कूपों मेंऐसे परम … Read more

करो दूर अंधकार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आ गई है दिवाली,बांट लो,खुशियां अपार,दीए से दीया जलाकर,करो दूर अंधकार। लौटे हैं देखो अयोध्या,श्री राम काट वनवास,झूम उठी अयोध्या नगरी,भर मन में उल्लास। रंग-बिरंगी बनी रंगोली,मन में सब भरे उमंग,देखो शिवपुत्र ले आए,लक्ष्मी जी को संग। हे रिद्धि-सिद्धि आप भी आओ,मेरी कुटिया में करो प्रवेश।राह आपकी देखती,माता लक्ष्मी,और गणेश। युग-युग … Read more