अब तो लौट आओ साजन

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अब तो लौट आओ साजन,मैं कब से तेरी बाट जोहतीदोनों ने मिलकर ही रिश्ता,सजाया था प्यार का।जन्म-जन्म का बंधन,पवित्रता का मेल हैतेरे-मेरे बीच प्रेम,नेह ये अनमोल…

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करो दूर अंधकार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आ गई है दिवाली,बांट लो,खुशियां अपार,दीए से दीया जलाकर,करो दूर अंधकार। लौटे हैं देखो अयोध्या,श्री राम काट वनवास,झूम उठी अयोध्या नगरी,भर मन में उल्लास। रंग-बिरंगी बनी…

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आई शरद ऋतु

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आई है मौसम जाड़े की बहती हवाएं मंद-मंद,मौसम वाली फूल खिले हैं,है बिखेरती मीठी सुगंधl रंग-बिरंगी तितली आती,फूलों का मुख चूम के जाती,इस डाली से उस…

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करें प्रतिज्ञा मात-पिता के सम्मान की

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************************** आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा,मात-पिता के सम्मान की,जिसने मुझको जन्म दिया,पाल-पोस कर बड़ा किया। उंगली पकड़कर चलना सिखाया,नित्य संस्कार का पाठ पढ़ाया,भूलूंगी कैसे मैं माता को,जिसने स्तन…

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