हम बिगाड़ें न पर्यावरण

अख्तर अली शाह `अनन्त` नीमच (मध्यप्रदेश) **************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. आईये एक कदम हम चलें, दोस्तों स्वच्छता के लिए। गंदगी न बढ़ाये कोई, इस धरा पे खुदा के लिए॥ गंदगी से सना होगा घर, आग की होंगें हम सब नजर। भस्म अस्तित्व कर लेंगें हम, पाल बैठेगें मरने का डर॥ इसलिए राह हम … Read more

मर्यादा

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* मर्यादा के मायने बदल गए, गैरों के क्या,अपनों के रास्ते बदल गए। पकड़ के ऊँगली चलना जिन्हें सिखाया, सीख के चलना,चाल बदल गएll बहू-बेटी क्या,बेटा भी सर झुकाता था, पहले बच्चे-बुजुर्ग,बाद मैं खुद खाता थाl बाहर खाकर आयेंगें,अपना देख लेना,कह कर चले गए, मर्यादा के मायने बदल गएll … Read more

जलाओ दीप हजार

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* आया रोशनी का त्यौहार,मना लो बारम्बार, आया दीवाली का त्यौहार,जलाओ दीप हजार। जगमग जहां हो जाए,रहे न कहीं अंधकार, ज्ञान की ज्योति,प्रेम की ज्योति और ज्योति सम्मान की, आधार शिला हो हर परिवार कीl राम ने दस शीश काट रावण के,किया रावण का उद्धार, आज फिर वक़्त है … Read more

आओ चलें गाँव की ओर

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* आओ चलें गाँव की ओर, वो चिड़ियों का चहकना वो कोयल का गाना, वो सुहानी भोरl आओ चलें गाँव की ओर… नित नये ख्बाव सजाते, पीपल नीचे चौपाल लगाते बच्चे सभी अब पढ़ने जाते, खेलें बाल गोपाल,पपीहा मचाये शोरl आओ चलें गाँव की ओर…। अस्पताल नहीं दूर अब,मिले … Read more

सास को माँ नहीं कह पाऊँगी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* ऐसा नहीं सास मुझे प्यारी नहीं, वो मुझे न करतीं प्यार हो ऐसा भी नहीं… देती पूरा सम्मान हूँ,करती पूरा काम हूँ, पर वो भाव कहाँ से लाऊंगी,मैं सास को माँ नहीं कह पाऊँगी। थककर जब मैं आती हूँ,फिक्र वो जताती हैं, चाय बना,प्यार वो जताती है,लेकिन वो … Read more

सर्वव्यापक हूँ,चाहे जो करा लो

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* छोड़ विद्यालय हर जगह नज़र मैं आता हूँ, अध्यापक हूँ,सर्वव्यापक हूँ जनगणना से मतगणना तक, भवन से ले के पशुगणना तक चाहे जो काम करा लो। गली-गली भटक रहा हूँ, बच्चे,बूढ़े,पशु गिन रहा हूँ; क्या पढ़ा था भूल गया हूँ, धर्म क्या!कर्म भी भूल गया हूँ। इस ऑफिस … Read more

चंद्रयान

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कहता था कवि कभी प्रेयसी से- “चाँद पर घर बनाऊँगा”, इसरो ने किया वादा,सपना मैं सजाऊँगा। आज अभिनंदन हर जन कर रहा, छोड़ दिया चंद्रयान-२,घर वहीं बनाऊँगा। दुनिया पग में काँटे लाख बिछाए, लाख करे बदनाम,संघर्ष कर लड़ जाऊँगा। नहीं चाहिए साथ किसी का,न किसी का नाम, अपने … Read more

कमजोर नहीं भारत की बेटियाँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* कोमल हैं,कमजोर नहीं भारत की ये बेटियाँ, नहीं आज से,हैं युगों से भारत का सम्मान बेटियाँ। कभी अपाला कभी गार्गी बन,संभाली भारत की पतवार बेटियाँ, बन सीता,अनुसूईया रखती घर की लाज बेटियाँ। माँ,बहन पत्नी रूप है पुरूष का आधार बेटियाँ, बन शक्ति रूप पुरुष की,लक्ष्मी,गौरी,सरस्वती हैं ये बेटियाँ। … Read more

कर्म का नाम ही धर्म

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* एक देश है,इंसानों के मर्म एक हैं, तन,मन सब एक है,फिर क्यों तेरा धर्म अलग है। मानव है तू,तेरा कर्म ही धर्म है, न बाँटों प्रभु को,नाम पर प्रभु के, नाम अनेक पर भाव एक है भाव को समझो,कर्म का नाम ही धर्म है। धर्म पिता का पालन … Read more

तेरे लिए

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ************************************************************************* गम हैं बहुत यहाँ पीने के लिए, मगर खुशियाँ हैं कम यहाँ जीने के लिए। गर मिटा नहीं सकता गम किसी का,दो कदम तो चल, तेरी कोशिश ही बहुत है दर्द कम करने के लिए। जोआज नहीं वो कल होगा,आज से बेहतर कल होगा, जीवन के इस समय … Read more