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मर्यादा

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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मर्यादा के मायने बदल गए,
गैरों के क्या,अपनों के रास्ते बदल गए।
पकड़ के ऊँगली चलना जिन्हें सिखाया,
सीख के चलना,चाल बदल गएll

बहू-बेटी क्या,बेटा भी सर झुकाता था,
पहले बच्चे-बुजुर्ग,बाद मैं खुद खाता थाl
बाहर खाकर आयेंगें,अपना देख लेना,कह कर चले गए,
मर्यादा के मायने बदल गएll

भाभी,बहन की पायल से ऊपर नजर न जाती थी,
पड़ोस की भाभी में भी माँ नजर आती थीl
भाभी को यार,पड़ोसन को सेक्सी कहने लग गए,
मर्यादा के मायने बदल गएll

चरण स्पर्श कर बड़ों को झुक कर शीश नवाते थे,
दबा-दबा के पाँव आशीष पाते थेl
`राम-राम` के मतवाले,`हाय-हैलो` के जमाने हो गए।
मर्यादा के मायने बदल गएll

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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