सुंदर पृथ्वी पर तुम हो विभीषिका
गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ जिस छोर पर तुम्हारा अंत होगा- वहीं से ही मेरी शुरूआत होगी, लग गया ध्वंस स्तूपों का ढेर तुम्हारा अब,बना है नया सृजन का क्षेत्र हमारा। मैं ही हूँ,मरुस्थल में जल बिंदु- दुर्भिक्ष में भूख का अन्न, हाहाकार में मैं हूँ सांत्वना- शांति के करुणा सिन्धु। मैं ही हूँ … Read more