मुझे भी जीने का हक

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* युगों-युगों से तुम कहते, देवी मान कभी हो पूजते माता सखी बहन प्रेयसी, कितने रुपों में मैं जीती। गर्भ में तुम्हें धारण कर,…

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न्याय चाहिए

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना................. कितनी निर्भया कितनी बालिकाएं, कितनी प्रियंका कितनी नन्हीं जान। न्याय माँगे बेटियाँ माताओं की आन, सुधार तत्परता सजा की है…

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मंज़र पर्दे की ओट का

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** यूँ होता,यूँ ना होता,सोच-सोच कर क्या फायदा राज़ जब यह मुहब्बत में,दिल की चोट का है, मेरा दिल तो मुस्कराया है,सदा बच्चे की मानिंद कसूर…

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गुफ्तगू करना दिल से

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** ये दिल कहे यारी में,ऐसा भी कुछ हो जाये मौत भी यारों को,जुदा करने में शरमाये, देख मेरे चेहरे पर,ये सुकून,सेहत,मस्ती- खुदा भी कह दे-तुझे…

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बेबस बचपन

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हृदय पीड़, बेबस बचपन... कैसे सुलझे ? श्रम करते, बेबस बचपन... सोचिए आपl कारण कई, बेबस बचपन... गरीबी भारीl पोषण करे, बेबस बचपन...…

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मैं जैसा हूँ

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** पागल हूँ मैं तो,अब मैं क्या करूँ अब नहीं अक्ल तो नहीं है अक्ल, जमाना तो यह बदलने से ही रहा नहीं बदलेगी अब यह…

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तुम भी तो अनजान नहीं

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** इश्क़ से पहले जिंदगी,यूँ हसीन हुई नहीं ना मैंने कहीं सीखा,तुमने भी बताया नहीं, पूछना चाहा जब भी मैंने तुमसे यह कभी देखने तुम क्यों…

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मेरा देश…मेरी पूजा…मेरा देव

डॉ.दिलीप गुप्ता घरघोड़ा(छत्तीसगढ़) ******************************************************** देश मेरा देव मेरा,साँस मेरी जान है..., नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान है फहरता जब तक रहे,आज़ाद हिंदुस्तान है। तिरंगा हर भारतीय की जान है-अभिमान…

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धुंध की चादर

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* छायी धुंध की चादर, शहरों में घुटन ऐसी जन-जीवन का अभिशाप, उफ्फ कर रहा हर जंतु-जीवl प्रगति कहे मानव दोषी, मानव कहे प्रगति…

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इन अंधे-बहरों में…

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** तूने ढूंढ ही लिया मुझे भीड़ के चेहरों में फिर अपना लिया मुझे इन बीच गैरों में, बांध कर रखा है इस कदर प्रीत पाश…

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