आओ कचरा करें

सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** आओ कचरा करें। तू मेरा कचरा कर,मैं तेरा कचरा करुं और फिर उस कचरे को एक-दूसरे पर फेंक कर कचरा-कचरा खेलें। कचरा करना बुरा है। हम तो आए दिन किसी-न-किसी का कचरा करते ही रहते हैं। तुम भी आओ,कचरा करो। दूसरे का कचरा तो कोई भी करता है,हिम्‍मत है … Read more

पिता ही प्रतिष्ठा

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* १६ जून `पितृ दिवस’ विशेष… पिता पालक, घर के संचालक- मान दीजिए। पिता ही ज्ञान, छाया है अनमोल- साथ दीजिए। पिता ही आन, पिता ही मेरी शान- ज्ञान लीजिए। पिता हैं प्यार, घर का संस्कार- प्रेम कीजिए। पिता से जन्म, पिता सच्चे देवता- पितृ पूजिए। भला सोचते, कटु दिखते पिता- … Read more

प्रगति रोकना है परिवर्तन ना स्वीकारना

अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** जीवन का पहला सबक होना चाहिए परिवर्तन में आस्था काl यह बुनियादी पाठ है। न काम पर काबू से का न कोध पर काबू पाने का,जीवन का धर्म होना चाहिए,परिवर्तन में अटूट आस्था का। हालांकि,परिवर्तन को मन कभी सहज रुप से स्वीकार नहीं करता हैl मन भागता है परिवर्तन से दूर,परे,जबकि … Read more

दिल का हाल किसे बतलाएं

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ किस-किसको बतलाएं, हाल ये दिल का। कहते हुए भी शर्माएं हाल ये दिल का, जिससे हमें हुआ है प्यार, कैसे बतलाएं उनको। कहीं सुनकर वो मेरी बात, रूठ न जाएंll वैसे भी इस दिल में गम का भंडार पड़ा है, इसमें से कुछ को कम किया जाए इजहार करके। या फिर … Read more

पावन गंगा..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ मन है चंगा- हर घर-घर में, कटौती गंगा। निर्मल नीर- हर पल कहता, मन की पीर। पावन गंगा- पापों को धोते-धोते, हो गई मैली। अमृत भरा- गंगा प्रधान तीर्थ, पुण्य की धरा। करो उद्धार- गंगा तेरी महिमा, अपरम्पार। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more

अलीगढ़ काण्ड अमानवीयता की चरमोत्कर्ष घटना

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** इस देश में जितनी गंगा- जमुनी तहज़ीब की प्रशंसा और दुहाई दी जाती है,और उसके विपरीत कृत्य होते हैं तो इसका क्या आशय हो सकता है ? एक क्षण की भूल जिंदगीभर के लिए गुनहगार बना देती है। कहते हैं कि रमजान का महीना बड़ा साक-पाक माना जाता है,जिस दौरान कोई … Read more

धरा की पीर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ सूखता नीर- कौन समझता है, धरा की पीर। कटते वन- धरती में दरारें, झुलसे तन। बने जंजाल- चारों तरफ उगे, कंक्रीट जाल। व्यर्थ न बहे- जल ही जीवन है, दुनिया कहे। सुन ले भाई- बढ़ता रेगिस्तान, प्यासा राही। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more

ये कैसी जवानी है…?

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* अलीगढ़ में मासूम बेटी की घटना पर आधारित…… हाथ लगाया तो डर गई, बाहर निकाला तो मर गईl मछली नहीं यह लड़की की कहानी है, नोंच दिया मासूम को ये कैसी जवानी है ? कौन-सा सिखाता है तुम्हें मजहब, दिखाओ हैवानियत का तुम यह करतबl ढंके बदन की करते हैं … Read more

क्या करें,क्यों करें

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ क्या करें,क्यों करें,किसके लिए करें, कोई तो हमें समझाए। मिला है मानव जन्म हमें, तो कुछ अच्छा कर जाएं… ताकि ये जीवन सफल हो जाए। कितना कुछ हम लोगों ने, देश-दुनिया को बदल दिया। पर खुद को हम बदल न पाए, बढ़ते दूसरों के कदमों को, खींचकर पीछे जरूर हम लाए… … Read more

पेट की आग

अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** पेट रोटी मांगता रहा जिस्म पसीना बहाता रहा, हर मुफलिस की यही एक कहानी दोस्त उम्र तो खेलने-कूदने की थी,बचपन था, पेट की आग मगर काम करवाती रही। पराई औलाद पर किसी को दया नहीं आती, काम बहुत और टका कम देता रहा साहूकार आइना देखने का वक्त ना मिला, खूबसूरती … Read more