संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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क्या करें,क्यों करें,किसके लिए करें,
कोई तो हमें समझाए।
मिला है मानव जन्म हमें,
तो कुछ अच्छा कर जाएं…
ताकि ये जीवन सफल हो जाए।
कितना कुछ हम लोगों ने,
देश-दुनिया को बदल दिया।
पर खुद को हम बदल न पाए,
बढ़ते दूसरों के कदमों को,
खींचकर पीछे जरूर हम लाए…
पर खुद की सोच को हम कभी बदल नहीं पाए।
जरा सोचो-समझो,करो विचार,
क्या करने जा रहे हो यार।
किया नहीं कभी भी जीवन में,
जनहित का तुमने कोई काम।
फिर क्यों उम्मीदें रखते हो,
जनप्रतिनिधि बनने की…
क्या ऐसे लोगों को समाज अपनाएगा ?
सुख-दु:ख में जो साथ दे,
वही इंसान हमें प्यारा लगता है।
अपना न होकर भी अपनों से,
बढ़ कर हमें वो लगता है।
क्योंकि ऐसे लोगो के दिल में,
इंसानियत का जज्बा जिंदा रहता है।
कर गुजरेंगे कुछ इस तरह से यारों,
कि इतिहास के पन्नों को हम
लोगों से उलट-पलट करवा देंगे।
भूत-भविष्य की सोच रखने वालों को,
वर्तमान में जीने की कला सिखला देंगे।
मिला है मानव जन्म तो कुछ,
देश समाज के लिए करके दिखाओ।
खुद के लिए तो हर कोई जीता है,
कभी दूसरों के लिए जीकर दिखलाओ…
और अपने इस जन्म को सार्थक कर जाओ॥
परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।