इश्क़ का नशा…

अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** ख़त लिख-लिख के आने का वादा किया यार ने, हम इंतजार कर-करके थक गये दोस्त चिठ्ठी फिर बांची बहुत बार बांची, कहीं पैगाम गलत तो नहीं…

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कैसे लिखूँ प्रेम गीत मैं

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** अनय अधर्म का वर्चस्व चतुर्दिक प्रबल हो रहे अन्याय अत्याचार है, कवि! कैसे मान लूँ तेरे कहने पर प्रेममय यह मानव का संसार है? पशुत्व पूजित…

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कौन देगा हिसाब ?

अजय जैन ‘विकल्प इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* फिर जल गई कई जिंदगी, कौन देगा हिसाब... बस ढोलेंगे जिम्मेदारी, कौन मानेगा अपनी गलती ? लील गई लापरवाही की आग, मौत से बचने कॆ…

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चूं चूं का जीत ए जश्‍न

सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** चुनाव हो गया। चच्‍चा ने भी अपना दूसरा चक्‍कर पार्क का लगाया और बुढ़ापे को जवानी में बदलने वाले उसूल के तहत जूस का…

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अधिवेशन-संगोष्ठी से हिंदी को बढ़ावा देने की जरूरत

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** हर जगह हर समय स्थानीय-राज्य स्तरीय-राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिवेशन-संगोष्ठी-गोष्ठी होती रहती है और स्वाभाविक हैं उनमे भाग लेने वाले उस स्तर के विद्वान-लेखक-चिंतक भाग…

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क्या कहें…

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ पल-पल तरसते थे, उस पल के लिए। वो पल ही रुका, कुछ पल के लिए। सोचा था उसे जिंदगी का, हसीन सपना बना लेंगे। पर क्या…

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बेरोजगार

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) ********************************************* बेरोजगार की अपनी अलग कहानी है, हाथ में डिग्री और आँख में पानी है। पदक से अब मैं सब्जी को तौलूंगी, प्रमाण-पत्र के संग रद्दी…

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बूंदें जीवन की सौगात

अलका जैन इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** प्यास बुझाने को व्याकुल सावन की बूंदें, समंदर में जज्बा कहाँ प्यास बुझाने का यार रिश्तेदारों... बूंद-बूंद बारिश की बूंदें, बूंदों की बदौलत जीवन की सौगात…

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चूं चूं का `मतदान`

सुनील जैन राही पालम गांव(नई दिल्ली) ******************************************************** जैसे गर्मी बढ़ रही है,पार्क में बरसाती मेंढकों की तरह कसरत करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पहले तो बूढ़े कैलोस्ट्राल…

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कविता बिखरी.है…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ पहाड़ों से गिरते झरनों में, कल-कल बहती नदियों में, कविता बिखरी पड़ी हैl प्रकृति की सुरम्य गोद में, पंछियों के मधुर कलरव में,…

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