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चूं चूं का जीत ए जश्‍न

सुनील जैन राही
पालम गांव(नई दिल्ली)

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चुनाव हो गया। चच्‍चा ने भी अपना दूसरा चक्‍कर पार्क का लगाया और बुढ़ापे को जवानी में बदलने वाले उसूल के तहत जूस का एक गिलास गले से नीचे उतारा और फिर पार्क से बाहर निकल लिए। घर जाकर नहा-धोकर तैयार हुए और सेन्‍ट फेंका शरीर पर,जूती पहनी और झम्‍मन के दरबार में शामिल होने के लिए निकल पड़े। झम्‍मन ने चुनाव तो पहले भी लड़े थे,लेकिन इस बार का चुनाव ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण इसलिए था कि उन्‍होंने एक अभिनेता कम नेता को हराया था। झम्‍मन दालान में सोफे पर भैंस की तरह पसरे पड़े थे। आज तो कुछ ज्‍यादा ही जंच रहे थे। अचकन पर पाजामा उनको पाजामा बनाने का पूरा काम कर रहा था। सर पर बहुत दिनों के बाद टोपी नहीं थी। टोपी तो चुनाव जीतने के लिए पहनी और पहनाई जाती है। खैर,आज उनकी मूंछें किसी नत्‍थूलाल से कम नहीं थीं। सरसों के तेल से ऐसे चमचमा रही थी,जैसे गंजे के सर पर तेल पर सूरज की किरण पसर गई हो।
चच्‍चा-झम्‍मन जी बधाई हो। वाह आपने भी कमाल कर दिया। कुछ भी काम नहीं किया और चुनाव जीत गए। ऐसा कमाल तो भारतीय नेता ही कर सकता है।
झम्‍मन-आओ चच्‍चा। आपका ही इंतजार कर रहा था। अरे सुन बे लोंडे-चच्‍चा को थोड़ा गरम कर और फिर ठंडा कर। मुझे भी लस्‍सी पिलवा दे।
चच्‍चा-झम्‍मन अब आगे की योजना क्‍या है।
झम्‍मन-अरे छोड़ो। राजनीति की बात बहुत हो गई। अब तो ये भी याद नहीं कितने गांवों में गये थे। किसके पैर छुए,किसको आशीर्वाद दिया।
चच्‍चा-लेकिन,एक बात तो माननी पड़ेगी तुम्‍हारी राजनीति तो समझ में ही नहीं आती। आखिर क्‍या है उसका राज ?
झम्‍मन-मेरी कोई राजनीति नहीं है। बस एक ही बात है जो विरोधी कहे उसके उलट ऐसा कह दो जो वह कर ही न पाए।
चच्‍चा-हम कुछ समझे नहीं।
झम्‍मन-अरे चच्‍चा,इसीलिए तो आप वोटर के वोटर ही रह गए। जैसे हमें मालूम है हम राजस्‍थान से चुनाव लड़ रहे हैं,वहां नदी नहीं आ सकती है,हम कहेंगे हमारी सत्‍ता आई तो आपके गांव से नदी को गुजार देंगे।
चच्‍चा-इसका क्‍या मतलब हुआ ?
झम्‍मन-मतलब साफ है-वह नहर का आश्‍वासन देगा। नहर से नदी छोटी होती है और सामने वाला नदी और नहर के भेद में फँस जाएगा और हम चुनाव जीत जाएंगे।
चच्‍चा-और भी मुद्दे रहे होंगे !
झम्‍मन-हाँ हैं ना।
चच्‍चा-वो क्‍या ?
झम्‍मन-फूट डालो और शासन करो और खुद को निरपेक्ष घोषित कर दो। लो चच्‍चा लस्‍सी पियो।
चच्‍चा-अच्‍छा अब ये बताओ,आगे पांच साल की क्‍या योजना है ?
झम्‍मन-चच्‍चा ये क्‍या पत्रकारों वाला सवाल पूछ लिया। आप तो देख ही रहे हो हमने क्‍या नहीं किया और हम क्‍या करेंगे।
चच्‍चा-देखो झम्‍मन,इस बार हमारे मुहल्‍ले में कुछ काम करवाने हैं। बहुत दिनों से सड़क टूटी पड़ी है,बिजली का खम्‍बा कमर की तरह टेड़ा हो गया है,पानी में बदबू आ रही है,बिजली तो गंजे के बाल हो गए हैं,कभी कहीं दिखाई दे जाते हैं और कभी कहीं नहीं।
झम्‍मन-लस्‍सी पीकर भी हमारे ही खिलाफ बोलोगे।
चच्‍चा-मतलब नहीं समझे।
झम्‍मन-चुनाव जीतने के लिए लड़ा जाता है,काम करने के लिए नहीं।
चच्‍चा-तो क्‍या मतलब !
झम्‍मन-वो कहावत नहीं सुनी अंधा पीसे कुत्‍ता खाए। अगर हम ही काम करेंगे तो दूसरे खाएंगे। इससे अच्‍छा है दूसरे काम करें और हम खाएं।
चच्‍चा-तो सरकार से हर साल पांच करोड़ मिलेंगे उसका क्‍या करेंगे !
झम्‍मन-देखो वह गोपनीय है। उस बारे में हम कुछ नहीं कहेंगे।
चच्‍चा-पिछली बार आपने जो गांव गोद लिया था,वहां तो पानी-बिजली ऐसे गायब है जैसे पिछले साल आपने नहर बनवाई थी।
झम्‍मन-चच्‍चा। सुन लो,आपका काम हो जाएगा,लेकिन किसी और को मत भेजिएगा। हम काम केवल रिश्‍तेदारों,दोस्‍तों और कार्यकर्ताओं के करते हैं।
चच्‍चा-बाकी जनता ?
झम्‍मन-वह जाए भाड़ में। जनता हमको चुनती है,हम तो उसे चुनने नहीं जाते। जिस दिन जनता हमें संसद से वापस बुला लेने का अधिकार पा लेगी,उस दिन हम जनता का काम करना शुरू कर देंगे।
चच्‍चा-तो जश्‍न !
झम्‍मन-ये तो जीत ए जश्‍न है। इसमें उन लोगों को शामिल किया है जिनकी छाती पर जूते रखकर मंजिल पाई है। जब उनकी छाती को सड़क बनाकर उपयोग किया है,उनको उसका मुआवजा तो देना ही है। वह खुश हो जाएगा। झम्‍मन हमारा और झम्‍मन सिर्फ अपना ही होता है।
चच्‍चा-हूँ।
झम्‍मन-चुनाव परिवार की उन्‍नति के लिए,अपने गांव को चमन बनाने के लिए,दोस्‍तों के साथ दारू पार्टी से लेकर अन्‍य पार्टियों को सजाने,संवारने,उपभोग करने,भोग करने और पर्यटन के लिए किया जाता है। अब चच्‍चा और मत पूछना। हम काली चादर ओढ़कर सांसद क्‍यों बने हैं ?

परिचय-आपका जन्म स्थान पाढ़म(जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद)तथा जन्म तारीख २९ सितम्बर है।सुनील जैन का उपनाम `राही` है,और हिन्दी सहित मराठी,गुजराती(कार्यसाधक ज्ञान)भाषा भी जानते हैं।बी.कॉम.की शिक्षा खरगोन(मध्यप्रदेश)से तथा एम.ए.(हिन्दी,मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया है। पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन खाते में-व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी है।आपकी कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में लेखनी का प्रकाशन होने के साथ आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। राही ने बाबा साहेब आम्बेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। मराठी के दो धारावाहिकों सहित करीब १२ आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं,रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ४५ से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वविद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैं। कुछ अखबारों में नियमित व्यंग्य लेखन करते हैं। एक व्यंग्य संग्रह अभी प्रकाशनाधीन हैl नई दिल्ली प्रदेश के निवासी श्री जैन सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रीय है| व्यंग्य प्रमुख है,जबकि बाल कहानियां और कविताएं भी लिखते हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-पीड़ा देखना,महसूस करना और व्यक्त कर देना है।

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