समझ प्रकृति अपमान
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** मीत सुलभ नवनीत कहँ,चले मनुज दुर्नीति।तृष्णा अपरम्पार जग,दुर्लभ प्रकृति प्रीतिll शोक चिन्तना कवि सलभ,ध्रुव कोरोना आज।जब तक टीका न बने,पड़े काल की गाजll रहें…